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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Monday, February 9, 2015

बहुविवाह पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

बहुविवाह पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय युदस नदि,9 फर। यद्यपि मुस्लिम पर्सनल लॉ मुस्लिम पुरूषों को चार पत्नियां रखने की अनुमति देता है, किन्तु सर्वोच्च न्याया ने अपने एक निर्णय में कहा है कि धार्मिक विश्वास का अनुसरण करने के मूल अधिकार में बहुविवाह को आवश्यक अंग नहीं माना जा सकता है। 
सर्वोच्च न्यायालय की न्याय टीएस ठाकुर और एके गोयल की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एक सरकारी कर्मचारी की याचिका पर यह निर्णय सुनाया। बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में वर्णित धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ धार्मिक विश्वास का अनुसरण करने से है ना कि सार्वजनिक नीति, स्वास्थ्य और नैतिकता के विरुद्ध नियम चलाने का। निर्णय में कहा गया है कि बहुविवाह की केवल इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती है कि धर्म में यह मान्य है। 
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उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारी खुर्शीद अहमद खान को पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने को अनुचित व्यवहार मानते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के नियम के अनुसार पहली पत्नी के होते हुए किसी भी व्यक्ति का दूसरा विवाह अवैध है और ऎसी स्थिति में कर्मचारी को सेवा में भी नहीं रखा जा सकता है। 
इस कार्यवाही को अनुचित ठहराते हुए खुर्शीद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी। यहां पर भी सरकार के निर्णय को सही ठहराया गया, तो खुर्शीद ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली और कोर्ट को बताया कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लं घन है। 
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय सुनाया कि 
मुस्लिम को इस्लाम मानने का मौलिक अधिकार 
में बहुविवाह अभ्यास का दावा शामिल  नहीं हैं। 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

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