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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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Tuesday, March 5, 2013

2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक,

2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक,
mar_2_2013_d2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली, में राज नाथ सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व पुन: ग्रहण करने के पश्चात् प्रथम बैठक में देश के विभिन्न कोनों से आए कार्यकर्ताओं के साथ, इस देश के लोगों की बड़ी अपेक्षाओं के दायित्व की भावना और अधिक चुनौतियों को बांटा। 

शनिवार को नई दिल्ली में शुरू हुई भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के उल्लेख के विशेष बिन्दू :
तालियों की गड़गड़ाहट में परिषद के 2200 के आसपास सदस्यों ने मोदी का विशेष स्वागत किया। 
उनके अच्छे शासन की प्रशंसा अम्रीका व् यूरोप सभी ने की विकास मॉडल की अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सराहना की गई है।
* भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी का निर्णय संसदीय बोर्ड द्वारा उचित समय पर लिया जाना चाहिए।
"मुद्रास्फीति की दर और भ्रष्टाचार यूपीए सरकार की पहचान बन गए हैं।
* सुशासन के मुद्दे पर उत्साहित भाजपा ने कांग्रेस नीत संप्रग को काराविदेश नीति, और आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद, अर्थव्यवस्था में विफल और भ्रष्टाचार में लिप्त संप्रग सरकार को राने का आवाहन किया।  
* सरकार में इच्छा शक्ति नहीं और इन मुद्दों से निपटने के लिए दृढ़ संकल्प का अभाव है।
* मोदी और उसके मध्य प्रदेश समकक्ष शिवराज सिंह चौहान ने संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा सकता है। 
भाजपा ने सत्ता में आने पर एक अलग राज्य के रूप में उचित समय में तेलंगाना गठन के लिए वादा किया। 
विश्वास है कि इस वर्ष दो राज्यों में जब विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके छत्तीसगढ़ समकक्ष रमन सिंह का नाम भी लगातार तीन चुनावों में जीत का हो जाएगा।
* बहु - ब्रांड खुदरा क्षेत्र में नीति के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति छोटे व्यापारी  को आघात है, "यह आर्थिक उथल - पुथल लाएगा, जिसे रोकना व हटाना चाहिए। 
* राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, दिल्ली और झारखंड, के आगामी विधानसभा चुनावों तथा 2014 के सामान्य चुनावों में अच्छी तरह से एकजुट होकर लड़ाई के लिए तैयारविजय की मुद्रा में दिखी भाजपा।
** आर्थिक संकल्प ** राजनेतिक संकल्प 
अध्यक्षीय भाषण में राज नाथ सिंह ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक के इस समय दो ऐतिहासिक अवसरों का संयोग व साक्षी मान कहा है, दोस्तों, एक, तीर्थराज प्रयाग का महाकुंभ पर्व और दूसरे पूरा देश स्वामी विवेकानन्द की 150वीं वर्षगाँठ मना रहा है महाकुंभ विश्व में मानव जाति के ज्ञात इतिहास की सबसे बड़ी घटना व इसकी महानता और निरंतरता भारतीय राष्ट्र के जीवन के शाश्वत शक्ति का प्रतीक है स्वामी विवेकानंद ने 1892 में एक युवा सन्यासी के रूप में अमेरिका में केवल 29 वर्ष की आयु में भारतीय धर्म और दर्शन का जो उदघोष  किया और उसने पूरे भारत की चेतना को एक नई ऊर्जा दी थी इसके माध्यम भारत इतिहास की नई करवट लेने लगा और जिसके बारे में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'भारत की डिस्कवरी' (337 पेज) में लिखा है, "विवेकानंद उदास और हतोत्साहित भारतीय मन के लिए एक टॉनिक के रूप में आया था और इसने आत्मनिर्भरता के साथ अतीत की कुछ जड़ों में देखना शुरू कर दिया है"
आज के वैश्वीकरण के युग में युवा, भारत के लिए नई ऊंचाइयों को प्राप्त करना चाहते हैं मुझे विश्वास है कि 19 वीं सदी में एक युवा सन्यासी के रूप में स्वामी विवेकानंद ने भारत को जो वैश्विक मान्यता दिलाई है, तो उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के प्रथम युवा है, जिसने  वैश्वीकरण समझ कर और इसके अनुसार अपने विचारों को रखा गया था तो राज नाथ सिंह ने इस अवसर पर हमें युवा शक्ति की उर्जा के साथ आध्यात्मिक और राष्ट्रीय गौरव का स्पंदन, जो भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक दर्शन और वैचारिक अधिष्ठान का आधार स्वामी विवेकानंद है, का आभास कराया  इसके साथ महा कुम्भ की मौनी अमावस्या के दिन प्रयाग में कई तीर्थयात्रियों के जीवन खोने और केवल कुछ दिनों पहले हैदराबाद में बम विस्फोट में मारे गए कई निर्दोष लोगों, की कुछ दुखद घटनाओं को संवेदना से व्यक्त किया।
गुजरात विधानसभा में नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में तीसरी क्रमिक जीत के लिए, भाजपा और अन्य पार्टी के शासन के बीच एक उदाहरणीय अंतर दर्शाते मोदी को भी बधाई दे, देश की वर्तमान बहुत गंभीर घृणित स्थिति, आर्थिक कुप्रबंधन, महंगाई, भ्रष्टाचार, असमर्थ प्रशासन, दिशाहीन नीतियों, कूटनीति में विफल और सुस्त आंतरिक और बाह्य सुरक्षा आदि सहित किसी भी क्षेत्र में चुनौतियों के समाधान के लिए भी बोले। देश के जनसामान्य के दैनिक जीवन के साथ, देश के अन्दर व सीमा की चुनौतियो तथा इनसे कांग्रेस नेतृत्व की संप्रग सरकार से क्षुब्ध , निराश व हतोत्साहित देश परिवर्तन व विकल्प चाहता है। ऐसे में विकल्प भाजपा नेतृत्व में राजग है। 
ऐसे में, जब सबसे सम्मानित अटल जी सक्रिय नहीं, सम्मानित आडवाणी जी के मार्गदर्शन के तहत  कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम और हमारे लोकप्रिय और सक्षम नेताओं की रणनीति के साथ, हमारी जीत सुनिश्चित है इसमें कोई संदेह नहीं है
सुरक्षा पर संकट 
इस देश में हैदराबाद में बम विस्फोट आतंकवाद की पहली घटना नहीं है आज यहाँ हर एक बड़ा शहर आतंकवादियों के लक्ष्य पर है। जब 2008 में मुंबई हमले के मद्देनजर आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की अपनी ही नीति, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह मिस्र में शर्म - अल - शेख शहर में यह कह कर त्याग देते हैं कि पाकिस्तान भी भारत की तरह आतंकवाद का शिकार है यूपीए सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई को गंभीर झटका दिया था, व पाकिस्तान के सामने अपने घुटनों को टेक दिया था। आतंकवाद के विरुद्ध पाकिस्तान से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर भी दोस्ती के लिए पीछे -2 भागने की नीति से एक 'नरम राज्य' के रूप में भारत की छवि बनाई गई। जब तक सरकार आतंकवाद के विरुद्ध साहस की भावना के साथ एक कड़ा रुख नहीं लेती, इस देश में आतंकवादी कई शहरों, गाड़ियों, बसों और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों लक्ष्य करता है लंबे समय के लिए घटनाओं को रोका नहीं जा सकता । 
आतंकवाद मानवता के विरुद्ध सबसे अमानवीय अपराध है। आतंकवाद को धर्म, विचारधारा के स्तर पर या किसी भी प्रणाली के विरुद्ध के रूप में औचित्य/ समर्थन न ही स्वीकार कर सकते हैं और न ही किया जाना चाहिए । 
युग दर्पण यह मानता है कि इस्लामिक आतंकवाद के नाम पर आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, कहने वाले द्वारा हिन्दू आतंकवाद कह कर वोट बैंक की राजनीति में लिप्त रहना कांग्रेस पार्टी की नीति रही है चाहे वह बाटला हाउस मुठभेड़ के मुद्दे पर या निराधार 26/11 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साजिश का आरोप लगाने वाली पुस्तक का विमोचन किया जाना था, या केंद्र सरकार के गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने जो भी कहा, राष्ट्रीय हितों पर घात, जानकर किया गया राष्ट्रघात है। 
पराकाष्ठा जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, आतंकवाद के कृत्यों में आरोपी व्यक्तियों के घरों पर आँसू बहाने आजमगढ़ पहुंच जाते हैं, किन्तु भारतीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा शहीद हो गए और जिन सैनिकों के सिर कटे थे, उनके गांव का दौरा करने के लिए इनके पास समय नहीं है समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में यूपीए सरकार ने लश्कर के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दी थी, जिसके आधार पर अमेरिका ने लश्कर पर प्रतिबंध लगा दिया था, पर उसी के नेता कांग्रेस के रूप में अचानक राजनीतिक कारणों से 'भगवा आतंकवाद' की बात, आरएसएस - के बारे में मनगढ़ंत कहानी द्वारा भ्रमित करना चाहते हैं, तथा आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई हराना चाहते है। 
जब गृह मंत्री राजनीतिक कारणों से आतंक के अपने शिविरों में प्रशिक्षण देने के बारे में आरोप गढ़ते हैं, त भारत को आतंकवादी देश घोषित किया जाने के अपने प्रयासों में, लश्कर हाफिज सईद ने पाकिस्तान में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है कांग्रेस पार्टी न तो वैचारिक और न ही मानसिक रूप से आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक युद्ध के लिए तैयार है केवल भाजपा आतंकवाद के किसी भी धार्मिक रंग देने के पूरी तरह से विरुद्ध है आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक युद्ध लड़ने में सक्षम है
 (जनता से सीधे जुड़े अन्य मुद्दों पर सीधे वीडियो देखें,: राज नाथ सिंह अध्यक्षीय भाषण 2 मार्च 2013-  https://www.youtube.com/watch?v=LYgKW66f7_8&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=48)
सभी वीडियो राष्ट्रीय परिषद-  https://www.youtube.com/playlist?list=PL07E4C2D4718D3CC6
आंतरिक सुरक्षा संकट पूर्वोत्तर क्षेत्र में अवैध घुसपैठ व नक्सलवा :
अवैध रूप से बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों के समूहों से, न केवल पूर्वोत्तर राज्यों के जनसांख्यिकीय रूपरेखा बदल रही है, अपितु इस क्षेत्र में रहने वाले भारतीय नागरिकों के साथ भी (हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं) आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों के लिए हिंसा पर उतारू है जबकि आईएमडीटी अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह भारत पर बाह्य आक्रमण के समकक्ष है तो इन घुसपैठियों की पहचान तथा एक समयबद्ध कार्यक्रम में लौट जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पूर्वोत्तर में बनाया जाना चाहिए सीमा प्रबंधन के लिए एक उचित नीति होनी चाहिए यूपीए सरकार ने अपने राज्य असम में हिंसा के बाद भी सबक नहीं सीखा है पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिले में हिंसक घटनाए रहे हैं अब बांग्लादेशी असम से त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में फैल रहे हैं । यह सब भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए उत्पन्न चुनौतियों में एक अंतर्दृष्टि देता है यदि यूपीए सरकार इस संज्ञान में और अवैध घुसपैठ में नकेल नहीं लगाती है तो पूर्वोत्तर आग की लपटों में स्वाहा हो जाएगा। 
   देश का आधा भूभाग नक्सली चपेट में है, एक एकीकृत नीति की और इस के साथ साथ वहाँ नक्सल समस्या को बौद्धिक समर्थन देने वाले चरम वामपंथी बुद्धिजीवियों को बौद्धिक स्तर पर नियंत्रित की आवश्यकता है
आर्थिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/playlist?list=PL8Z1OKiWzyBH5cYSl-5k2QwQ-UT5oyRRH
राजनैतिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=CiK-iG_mFL4&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=52
भाजपा सुशासन व अन्य वर्ग:
http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/03/2-3-2013_8.html
आर्थिक कुप्रबंधन (संप्रग) /विकास (राजग)

कार्यकर्त्ता और संगठन
भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्त्ता आधारित संगठन है आज भी देश के लोगों को हम सभी कार्यकर्त्ताओं से एक अद्वितीय और प्रतिष्ठित आचरण आपेक्षित है हम सभी उत्साही कार्यकर्त्ता पार्टी और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं परन्तु राजनीति में, गरिमा और आत्म संयम का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है राजनीति में एक सूक्ष्म बात छिपी है कि एक व्यक्ति राजनीति में उच्च स्थान केवल इसलिए नहीं पा लेता है, कि उसने क्या क्या किया, बल्कि इसलिए अधिक बनता है, कि राजनीति में रहते हुए क्या किया जा सकता थापरन्तु नहीं किया या दूसरे शब्दों में अवसर और लालच होने के बाद भी क्या वह संयम रखता है । इस देश की जनता भाजपा कार्यकर्त्ता के, क्या नहीं किया जाना चाहिए के पक्ष पर, अधिक संवेदनशील रहती हैं
अंत में संगठनात्मक मूल मंत्र के बारे में राज नाथ सिंह ने कहा :-
यदि हम इसे सारांश में कहें, तो कार्यकर्त्ता के लिए संगठनात्मक मूल मंत्र होना चाहिए:-
व्यक्तिगत स्तर पर 'आत्म संयम'
संगठनात्मक स्तर पर 'समन्वय'
सामाजिक स्तर पर 'सेवा और संघर्ष
राष्ट्र के स्तर पर 'समर्पण'.
तो, संयम, समन्वय, संघर्ष, और समर्पण हमारे संगठनात्मक मूल मंत्र होना चाहिए.
राज नाथ सिंह ने कहा, भारत माता के चरणों में समर्पित देश के अत्यंत दुर्लभ और समर्पित कार्यकर्त्ता समूह से युक्त पार्टी संगठन, को रामचरितमानस से एक उदाहरण दिया कैसे हनुमान जी लंका जा कर सीता माता को दुखी व मुक्त होने के प्रति शंकित जानकर आश्वस्त करते हैं कि अकेले सक्षम होने पर भी, अपने समाज व प्रभु की महिमा के लिए इस कार्य को सबके साथ मिल कर करना चाहते हैं।
हनुमान जी की तरह हमारे सभी कार्य एकजुटता की भावना के साथ पूरे संगठन और हमारे भक्ति का केंद्र इस देश की प्रतिष्ठा में वृद्धि करने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए
आने वाले चुनावों
दोस्तों, वर्ष 2013 हमारे लिए महत्वपूर्ण है कुछ ही महीनों में कर्नाटक में चुनाव  हैं  इस वर्ष के नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली में चुनाव  हैं संभवत: झारखंड में चुनाव भी इस वर्ष हो सकता है यह सभी राज्य हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं लोकसभा के लिए चुनाव किसी भी समय हो सकता है हो सकता है कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय परिषद की यह अन्तिम बैठक है यह स्पष्ट है कि बैठक के बाद हम सभी कार्यकर्त्ता अपने - अपने क्षेत्र में लोकसभा के लिए तैयारी में, सभी चुनावों में जीत के संकल्प के साथ, और अंत में लोकसभा चुनावों में दिल्ली विजय का संकल्प लिए, हम घर के लिए प्रस्थान करेंगे 
भारत माता की जय!
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Wednesday, February 13, 2013

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी"

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी" 
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विगत दिनों घटे सामूहिक बलात्कार कांड से देश भर में जनाक्रोश के बाद भी स्थिति यथावत रहने की टीस समाज में बनी रहना, व इसे लेकर समाज के नर नारी में टकराव बनाने का प्रयास करते तत्व यह दृश्य जिन्हें कचोटता नहीं, वे इसे महिला विरोधी हिंसा या पुरुषों का दोष बताएँगे। देश में कुकुरमुत्ते जैसे गली -2 उगते रावण व दमिनीयों के शीलहरण की इन घटनाओं का कारण, जब वैलेंटाइन की कथित प्रगति शील आधुनिक अपसंस्कृति की उपज कहा जाता है, इन्हें आपत्ति होती है। किन्तु वामपंथियों व शर्मनिर्पेक्षों या इनसे भ्रमित युवाओं की आपत्तियों से सत्य को बदला तो नहीं जा सकता ? हम कहें आग लगा कर तवे पर रोटियां डाल दें, तथा किसी को हिलाने भी न दें; तो रोटियां जलना स्वाभाविक है। इसके लिए रोटी को आग से हटाना ही होगा । निश्चित ही अब इसे रोकने का समय आ गया है।
यह कहा जा सकता है, कि रावण तो त्रेता युग में था। हाँ, उसने भी सीता माता का अपहरण तो किया, किन्तु शीलहरण नहीं। अनजाने नहीं, कुचक्र पूर्वक किये गए, इतने अपराध के लिए; पूरे वंश का नाश तथा युगों युगों तक समाज में इसके प्रति जागरूकता बनाने वाले हमारे राष्ट्रीय पर्व, हमारी राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक हैं। वैलेंटाइन डे, ये डे -वो डे केवल आर्चीज़ जैसे महंगे सन्देश पत्र (ग्रीटिंग कार्ड) बेचने के उपभोग्तावादी, व किसी न किसी बहाने हमारे चेतना के पर्व हटाने के; चेतन संस्कृति को अपसंस्कृति में बदलने के, कुचक्र को समझने की आवश्यकता है। 
फिल्मों व चेनलों में शैली (स्टाइल) के नाम पर जो सिखाया जा रहा है। उसकी राष्टीय चेतना में सकारात्मक नहीं नकारात्मक भूमिका है। किसी फ़िल्मी या नायिका की किसी अदा को बार बार दिखाया जाता है। अभी किसी रियेलिटी शो में कहा व दिखाया गया, किसी फिल्म में नायक अक्षय ने जैसे (हे ...) कहा उसे दोहराना था। अथवा कहीं सलमान खान ने एक कपडा अपनी टांगों के बिच जैसे चलाया वही दोहराना, जैसी अनावश्यक बातें अथवा हमारे सामाजिक पारिवारिक सम्बन्ध के मूल तत्व के रहित केवल लोकप्रियता पाने हेतु इन नामों से ये डे -वो डे बनाकर, चालाकी से उपभोगतावाद बढाने के तिरिक्त,
इसमें हमारी चेतना व संस्कृति का कोई अंश नहीं है। 
अभी कमल हसन की एक फिल्म को मुस्लिम विरोध के कारण, दक्षिण में एक राज्य सरकार ने रोक लगा दी। इस प्रकार तुष्टीकरण से सदा उनका मनोबल बढाया जाता रहा है। इसके पूर्व अनेकों अवसरों पर हिन्दू भावनाओं पर आघात होते रहे। ऐसी फिल्मों व अन्य कार्यक्रमों तथा हुसैन के चित्रों व उसकी प्रदर्शनी के विरोध को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का विरोध बताया जाता रहा। किन्तु अब किसी के द्वारा मुस्लिमों से अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता या सहृदयता की अपेक्षा नहीं की गई।
हमारा लक्ष्य किसी सम्प्रदाय का विरोध नहीं अपितु ये दोहरे मापदंड व तुष्टीकरण की कुटिल नीति व इसके दुष्परिणामों से देश बचाने का है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ही धार्मिक /सांप्रदायिक भेदभाव का निकृष्ट राष्ट्र विरोधी कार्य करना शर्मनिर्पेक्षता है। समाज व राष्ट्र के लिए अहितकर है। स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष जो दूसरों को साम्प्रदायिक कहते हैं, स्वयं साम्प्रदायिकता के निकृष्टतम उदाहरण हैं। 
ऐसे इन शर्मनिर्पेक्ष तत्वों से सचेत रह कर, इनके कुचक्र से समाज को बचाने व राष्ट्र चेतना जगाने की आवश्यकता है। तथा उपभोगतावाद के दिए ए, अपसंस्कृति कारक वेलेंटान डे, फैशन व शैली (स्टाइल) नहीं, भारतीय जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार हमारी चेतन संस्कृति से दूर ले जाने के जो अन्य नए नए कुचक्र हैं, उनके स्थान पर अपने पर्व तथा दिवस मनाएं। कल 15 फरवरी बसंत पंचमी है। क्या हमारी युवा पीड़ी को इसके बारे में जानकारी है? भारतीय जीवन शैली व राष्ट्र चेतना से जुड़े पर्व मनाएं।
भारतीय पर्व जानने समझने ऐसी महत्त्वपूर्ण, विविधतापूर्ण नवीनतम जानकारी का सटीक व उत्कृष्ट स्त्रोत - जीवन शैली दर्पण, धर्मसंस्कृति दर्पण, राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, युवा दर्पण, ...। वेब से पायें हमारे 28 विविध ब्लाग, 5 चेनल, व अन्य सूत्र, नकारात्मक पत्रकारिता के सकारात्मक विकल्प का संकल्प युग दर्पण मिडिया समूह YDMS. 9911111611. yugdarpan.com
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Saturday, December 22, 2012

गीता जयन्ती 23 से 25 /12/12

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vkt fnukad 23 fanlEcj 2012 ds dk;Zdze  
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Tuesday, May 11, 2010

लाल दुर्ग की दीवारों में दरारें

अविश्वसनीय किन्तु शीतलतादायक गरमागरम सत्य

-अरविन्द कुमार सेन
समय: रात के 8 बजे। स्थान: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का माही-मांडवी छात्रावास का भोजनालय। छात्र खाना खा रहे हैं। आइसा, एसएफआई, डीएसयू, पीएसयू और एआईडीएसओ आदि वामपंथी छात्र संगठनों के सदस्य छात्र भोजनालय में पहुंचते हैं। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए ये छात्र दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमलें को सही ठहराते हैं और ऑपरेशन ग्रीन हंट के खिलाफ बोलते हैं। डीएसओ की प्रतिनिधी छात्रा ने मुश्किल से एक मिनट बोला होगा कि अचानक भोजनालय में उपस्थित सारे छात्र चिल्लाने लगते हैं। कोई चम्मच से प्लेट बजा रहा है तो कोई जग से टेबल बजा रहा है। माहौल तनावपूर्ण हो जाता है और वामपंथी छात्र संगठनों के सदस्य बाहर की ओर दौड़ते हैं।
      माही-मांडवी के छात्र भी उनके पीछे-पीछे ‘नक्सलवाद मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए बाहर आ जाते हैं। कुछ छात्र छात्रावास के सूचना पट्ट से वामपंथी छात्र संगठनों के पोस्टर फाड़कर उन्हें गेट के पास जला देते हैं।
     छात्रावास के गेट के पास धीरे-धीरे भीड़ जमा होने लगती है। इस भीड़ में ज्यादातर ऐसे छात्र हैं जो किसी भी छात्र संगठन से नहीं जुड़े हैं। बिना किसी पूर्व योजना के एकत्रित हुए ये छात्र माओवादी हमले की आलोचना करते हैं। अचानक अफवाह फैलती है कि छात्रावास के एक लड़के का भाई भी एस हमले में मारा गया है। भावावेश में सारे छात्र जोर-जोर से नारे लगाते हैं और थोड़ी देर बाद सामने स्थित कोयना छात्रावास की ओर चल देते हैं। आन्दोलनों से दूर रहने वाले विज्ञान संकाय के छात्र भी आज इस भीड़ में शामिल हैं।
     ‘शहीदों हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘चीन के दलालों शर्म करो’ के नारों की गूंज के बीच कोयना छात्रावास के सूचना पट्ट से भी वामपंथी छात्र संगठनों के पोस्टर फाड़ दिए जाते हैं। इतने में छात्रावास से कुछ लड़कियां माचिस लेकर बाहर आती हैं और पोस्टरों को जला देती हैं। इसके बाद छात्र-छात्राओं की यह भीड़ बढती जाती है और एक-एक करके लोहित, चन्द्रभागा, गंगा, यमुना, ताप्ती, साबरमती समेत सभी छात्रावासों के सूचना पट्टों से वामपंथी छात्र संगठनों के पोस्टर फाड़ दिए जाते हैं।
     इसके बाद सारी भीड़ 24 गुणा 7 ढाबे पर एकत्रित होती है। छात्र-छात्राएं एक-एक करके बोलना शुरू करते हैं। चूंकि भीड़ में किसी संगठन विशेष का कोई छात्र नेता नहीं है इस कारण वक्ताओं के जो मन में आ रहा है, वही बोलते जा रहे हैं। एक लड़की कहती है- बस अब बहुत हो गया, अब और तानाशाही नहीं सहेंगे। क्या कर लेंगे आईसा और एसएफआई वाले जाकर विभाग में सर से शिकायत कर देंगे, ग्रेड कम करवा देंगे, एमफिल में एडमिशन नहीं होगा। कोई बात नहीं, डीयू में चले जाएंगे लेकिन यहां इन लोगो की दादागिरी नहीं सहेंगे।
     एक और छात्र गौरव कहता है कि जेएनयू की इस दिखावे की जिंदगी से जी भर गया है। अगर कम्यूनिस्टों के खिलाफ कुछ भी बोलो तो दक्षिणपंथी समझ लिया जाता है और परीक्षा में ग्रेड़ कम कर दिया जाता है। देशभर के मुद्दों के लिए लड़ने का दंभ भरने वाले ये लोग जेएनयू में क्या कर रहे हैं इस सामाजिक संवेदनशीलता के ढोंग से जी भर गया है। गौरव अपनी बुआ के लड़के को याद करते हैं जो हाल ही में हुए माओवादी हमले में मारा गया। गौरव की आंखे नम हो जाती हैं और भर्राई आंखों से यह कहकर अपनी बात खत्म करते है कि बेशक जेएनयू छोड़ना पड़े लेकिन अब इन लोंगो का साथ नहीं देंगे। यह सभा लगभग 11 बजे खत्म हो जाती है।
     समय 11:30 बजे और स्थान जेएनयू का थिंक टैंक सेंटर गंगा ढाबा। गंगा ढाबा आज ऐसी घटना का गवाह बना जो पिछले चार दशकों में कभी नहीं हुई। ऊंची आवाज में होने वाली बहसें और नोक-झोंक आज नहीं हो रही हैं। गंगा ढाबे की पत्थर की कुर्सियां, जहां महफिले जमती थी, आज खामोशी के आवरण में लिपटी हुई हैं। इस सन्नाटे में कुछ छात्र धीमे-धीमे बात कर रहे हैं। आज तो क्रान्ति हो गई, गजब हो गया, माही-मांडवी वालों ने कमाल कर दिया.. यही सब आवाजें रह-रहकर गंगा ढावे की फिजां में तैर रही हैं।
     क्षेत्रीय अध्ययन केन्द्र की छात्रा अनुष्का कहती हैं कि वामपंथी छात्र संगठनों के खिलाफ छात्र लंबे समय से उबल रहे थे। नक्सली हमले ने छात्रों को अपना आक्रोश जाहिर करने का अवसर दे दिया। छात्र प्रोफेसरों से डरते थे लेकिन आज यह सीमा भी टूट गई और सब छात्र सड़क पर आ गए। अनुष्का के बगल में खड़े राजीव आगे की बात कहते हैं। वे कहते हैं कि वामपंथी छात्र संगठनों ने विरोध करने के लिए गलत समय का चुनाव किया। 77 जवानों की मौत के बाद माओवादी लोंगो की सहानुभूति खो चुके हैं। एक तो ये संगठन पहले से ही खराब दौर से गुजर रहे हैं और फिर इनके प्रदर्शन से एबीवीपी और एनएसयूआई को मुंह मांगी मुराद मिल गई।
     पिछले 10 सालों से परिसर की राजनीति देख रहे शोध छात्र विवेक कहते हैं कि आज का प्रदर्शन जेएनयू की छात्र राजनीति में नया अध्याय है। पहले एबीवीपी और एनएसयूआई के कार्यकर्ता प्रदर्शन तो दूर परिसर में पोस्टर तक नहीं चिपका पाते थे लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आज जो हुआ, उसकी तो सपने में भी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
     वामपंथी खेमा इस घटना के बाद से स्तब्ध है। जिस दुर्ग को सबसे अभेद्य समझा जाता था, आज उसकी दीवारों पर चिपके पोस्टरों पर लिखा है कि कम्यूनिस्ट कोई भी परचा न लगाए। डीएसयू के एक कार्यकर्ता ने दबी जुबान में कहा कि हमने गलत समय पर नक्सलवाद के समर्थन में प्रदर्शन करके एबीवीपी और एनएसयूआई को हावी होने का मौका दे दिया।
     दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र के एक प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस घटना कि पृष्ठभूमि पिछले पांच साल से तैयार हो रही थी। पहले जेएनयू में बंगाल, उड़ीसा और केरल जैसे राज्यों के प्रोफेसर और छात्र हावी थे। उस समय हिन्दी पट्टी और खासकर बीएचयू और डीयू के छात्रों का प्रवेश न के बराबर होता था। अब न केवल प्रोफेसर बल्कि डीयू और बीएचयू के छात्र भी बड़ी संख्या में आने लगे हैं, जो पहले से ही भगवा रंग में रंगे होते हैं।
     खास बात यह है कि एबीवीपी और एनएसयूआई जैसी धुर विरोधी पार्टियां एक साथ मिलकर वामपंथी छात्र संगठनों से लड़ रही हैं। अपने सबसे कठिनतम दौर से गुजर रही वामपंथी पार्टियों के लिए यह एक और बुरी खबर है। बंगाल और केरल के बाद तीसरे मजबूत गढ जेएनयू की दीवारों में भी दरारें आ गई हैं। जिस परिसर में इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह तक को नहीं बोलने दिया गया था, आज उसी जगह कम्यूनिस्ट पार्टियां को पोस्टर तक नहीं लगाने दिया जा रहा है।
     प्रकाश करात और सीताराम येचुरी की कर्मस्थली जेएनयू में आज भारत माता की जय और वन्दे मातरम् के नारे गूंज रहे हैं। यह देश में वामपंथ की चूलें हिलने का एक और संकेत है।
   विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक

Tuesday, May 4, 2010

BJP calls for a new Kashmir lead by youth

Bharatiya Janata Party, Jammu & Kashmir Rajbagh, Srinagar, Kashmir
Press statement by Jenab Tarun Vijay, National Spokesperson, BJP.
04th May 2010. Srinagar
     On my first visit to Srinagar after assuming the office of National Spokesperson, BJP, I have found the people, the common Kashmiris peace loving, wanting to have a prosperous and harmonious future, specially the youth of the valley. I bring good wishes and prayers for happy times for them on behalf of my Party President Shri Nitin Gadkari and the entire cadre.
     Its time for a New Kashmir led by the youth to rise leading into the era of peace, prosperity and progress. The wise, brilliant, futuristic path is at a stone’s throw away spreading its arms that ensure liberalism and happiness. We must lend an ear and guide them for the future. Their anger should be channelized into employment avenues. Our Party President Shri Nitin Gadkari has given a special message of goodwill for the youth of Kashmir wishing them happiness and a peaceful time ahead that must make every Indian proud.
I would also like to salute the Kashmiri Mothers who painstakingly tried and succeeded to a great extent keeping away their children from terrorism and destructive activities. Their heart and soul witnessed mayhem upsetting the real spirit of a composite culture of Kashmiriyat and they have stood firmly for saner and civilized values. Let’s walk together. I invite the youth and the women power to join BJP and create progressive entrepreneurship in the region of science, technology and protection of the environment that can become an example for the rest of India.
     A Number of incidents have been noticed where the local Muslims have courageously stood with their Kashmiri Hindu brethren and helped. A large number of them want Hindus come back and also support those who have stayed back. It’s a welcome sign that must get the national attention and accelerate the creation of a situation where all Hindus feel safe to return. One example, amongst many I heard is of Fateh Kadal, where a Shri Rama Shaiv Ashram was rebuilt by the active help from local Muslim friends. I wish such examples are highlighted by media also.
     Nothing can surpass the humanitarian values of the Kashmiri society, a beacon light for the Indianness. We trust the best of the solutions to all issues can be found through the path of Insaniyat, not through bullets.
Office secy.
BJP J&K, Srinagar,04-05-2010
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है! पाक के सभी नापाक इरादों को असफल कर इस देश ने यह दिखा दिया है, "यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है!- तिलक

Monday, March 15, 2010

नव संवत 2067 की शुभकामनाएं.

अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें;
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं,
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं.
यह केवल एक कैलेंडर नहीं प्रकृति से सम्बन्ध है,
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है.
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नवसंवत 2067 की शुभकामनाएं.
तिलक संपादक युगदर्पण. .
(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-09911111611,9911145678,9540007993. www.bharatchaupal.blogspot.com/ www.deshkimitti.blogspot.com

Friday, January 22, 2010

Nar ho na niraash karo man ko

VALUE HAS A VALUE ONLY IF ITS VALUE IS VALUED मूल्यों का मूल्य तभी है जब उनके मूल्य का मूल्याँकन हो

 A speaker started off his seminar by holding up a Rupee 500 note.
In the room of 200, he asked, "Who would like this Rupee 500 note?"
Hands started going up. He said, "I am going to give this note to one of you
but first let me do this." He proceeded to crumple the note up.
He then asked, "Who still wants it?" Still the hands were up in the air.
"Well," he replied, "What if I do this?" And he dropped it on the ground and started to grind it into the dirt on the floor . He picked it up, now all crumpled and dirty. "Now who still wants it?" Still the hands went into the air.
"My friends, you have all learned a very valuable lesson. No matter what I did to the money, you still wanted it because it did not decrease in value. It was still worth Rupee 500/-.

Many times in our lives, we are dropped, crumpled, and ground into the dirt by the decisions we make and the circumstances that come our way. We feel as though we are worthless. But no matter what has happened or what will happen, you will never lose your value, and Great,rich traditional values & Culture.

You are special. Don't ever forget it! Never let yesterday's disappointments overshadow tomorrow's dreams.