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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Thursday, April 14, 2016

श्री रामनवमी के कुछ दुर्लभ शुभ व्रत संयोग

श्री रामनवमी के कुछ दुर्लभ शुभ व्रत संयोग  
Image result for रामनवमी 2016कृ ध्यान दें सोशल मीडिया के सभी राष्ट्रवादी लेखकों के सूचनार्थ, पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ बुधादित्य योग का दुर्लभ विशेष संयोग भी बन रहा है। इस शुभ दिन आइए एक दुर्लभ शुभ व्रत लें।     देवी महागौरी जयघोष से आठवां नवरात्र संपन्न हुआ, इस आठ   दिवसीय पर्व के नवरात्र व्रत की व्यस्तता से निकल कर, आइए    अब नकारात्मक तत्वों से रक्षा के सामाजिक संकल्प का व्रत लें। मित्रो, विगत में समाज पर शर्मनिरपेक्ष राष्ट्रद्रोह का काला साया जो रहा मँडराता, क्योंकि नकारात्मक भांड मीडिया ने उन्हें सर पे था बिठलता। समय आ गया है, अब उस कलंक को मिटाने का, 
राष्ट्रद्रोह से पूर्व उनके पोषक, नकारात्मक मीडिया के मिटाने का। 
इस शुभ अवसर पर विविध विषय के लेखकों का उनकी प्रतिभा के द्वारा, राष्ट्र सेवा सम्मान के से एकाकार होगा। 
राष्ट्रवाद की दैविक ऊर्जा एकजुट होकर चंडीका जब धरे स्वरूप, मिशन मीडिया, फिर परास्त हो मनी मीडिया। सभी संभावित प्रतिभागी, अपने प्रिय विषय सहित (राष्ट्र, समाज, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, पर्यावरण, ज्ञान विज्ञान, आदि) नमूना लेख पोस्ट करें -लेखक पत्रकार राष्ट्रीयमंच (राष्ट्रव्यापी राष्ट्रसमर्पित) संपा युगदर्पण LPRM 
https://www.facebook.com/groups/LekhakPatrakarRashtriyaManch/ 
YDMS के 30 ब्लॉग - राष्ट्र, समाज, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, पर्यावरण, ज्ञान विज्ञान, सत्य, शिक्षा, विश्व, युवा, काव्य साहित्य, कला, प्रतिभा, इतिहास, परिहास, नशा मुक्ति, फैशन मुक्ति, भूमि, चौपाल, महिला घर परिवार, विकास तथा विनाशक राजनीती, .... सभी विषयों पर समर्थ, .. यही है, व्यापक सार्थक विकल्प का अर्थ। 
नकारात्मक का प्रतिकार से पूर्व सकारात्मक अपनी स्वीकार्यता बनाएगा, तभी परिणाम पाएगा। 
यदि सहमत हैं, तो सहो मत,.....  उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!! 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, 
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, ले कर करे; 
प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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कल रामनवमी है। अर्थात प्रभु श्री राम का जन्म। कुछ दुर्लभ संयोग

कल रामनवमी है। अर्थात प्रभु श्री राम का जन्म। कुछ दुर्लभ संयोग 
इस शुभ दिन आइए एक शुभ व्रत लें। देवी महागौरी जयघोष से आठवां नवरात्र संपन्न हुआ, आठ दिवसीय पर्व के नवरात्र व्रत की व्यस्तता से निकल कर, अब नकारात्मक तत्वों से रक्षा के सामाजिक संकल्प का व्रत लें। 

चैत्र नवरात्र के नौवें दिन, देश के कई भागों में रामनवमी पर भगवान श्रीराम जन्मोत्सव का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तो श्रीरामनवमी का एक विशेष महत्व है। भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव तो वैसे ही अति शुभ समय होता है, किन्तु बार इस शुभ दिन कुछ और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। यह विशेष योग जो शुभ तत्व को कई गुना वृद्धि प्रदान करने वाले हैं। 
रामनवमी इसबार 15 अप्रैल को है। इस बार रामनवमी पर उच्च का सूर्य, बुध के साथ मिलकर बुधादित्य योग बना रहा है। ये अति विशेष मुहूर्त है। साथ ही पुष्य नक्षत्र भी है। अर्थात पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ बुधादित्य योग का विशेष संयोग भी बन रहा है। इतना विशेष योग भी कई वर्षों बाद बन रहा है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के नौवें दिन नवमी को दोनों ही बार धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य का अधिक महत्व होता है। नवरात्र में कई लोग व्रतादि रखते हैं और विशेषकर चैत्र में रामनवमी के दिन श्रद्धालु पूजा-पाठ के उपरांत इसे तोड़ते हैं। 
रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसीलिए इस दिन पूरे समय पवित्र मुहूर्त होता है। इस दिन नए घर, दुकान या प्रतिष्ठान में प्रवेश किया जा सकता है। किसी भी प्रकार का क्रय, गृहप्रवेश और शुभ कार्यों के लिए यह विशेष संयोग लाभकारी माना गया है। 
राम नवमी के दिन उपवास के पश्चात भक्तों को भगवान श्रीराम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और दान देना चाहिए। भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना करने से कृपा बनी रहेगी और घर में धन-समृद्धि की वृद्धि भी होगी। 
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Wednesday, April 13, 2016

मंदिर में महिला प्रवेश का हंगामा तथा सत्य -

विक्षिप्त क्यों? भारत, मोदी तथा हिंदुत्व के विरोधी 
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये।
अपनी धर्म संस्कृति को जीवन शैली का आधार बनायें, भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनायें। - तिलक
मंदिर में महिला प्रवेश का हंगामा तथा सत्य -
मंदिर में महिला प्रवेश के मामले पर जिस प्रकार एक भ्रामक प्रस्तुति की गई, लैंगिक भेदभाव का रूप देकर हंगामा कर धर्म समाज पर आरोप मढ़ते संघर्ष पूर्वक घुसने का नाटक तथा न्यायिक प्रक्रिया का पटाक्षेप हो गया है। मा. न्यायमूर्ति ने कहा लैंगिक भेदभाव का हिन्दू धर्म में कभी कहीं स्थान नहीं रहा।
सभी जानते हैं हमारे समाज में महिलाऐं धार्मिक कार्यों में सदा अग्रणी रही हैं। इतना ही नहीं देवी का स्थान तो हिन्दू समाज ने दिया, फिर मंदिर में महिला प्रवेश के विषय के भ्रम को समझें।
किन्ही विशेष स्थितियों में (मासिक स्त्राव में) मंदिर में महिला प्रवेश पर सामयिक रोक संभव है। वह भी स्व बाध्य पवित्रता हेतु। दूसरे शिवलिंग के रेडियोधर्मिता तरंगो से बचाव के लिए। यदि हिंदुत्व के शत्रु, हंगामा करने हेतु इसे लैंगिक भेदभाव का रूप देकर समाज में अशांति फैलाना चाहते हैं, तो हिन्दुओ उठो, जागो सत्य को जानो, धर्म विरोधी अधर्मियों को उनके कुचक्रों सहित पहचानो।
शिवलिंग, वर्षप्रतिपदा तथा अन्य सभी भारतीय मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार जानिए। रेडियोधर्मिता का किसी शिवलिंग, ज्योतिर्लिंग से सम्बन्ध जानिए। नालंदा तक्षशिला की शिक्षा जानिए।
तब समझमें आएगा, भारत वास्तव में विश्व गुरु था, हिंदू व उसमे विश्व गुरु के, वे तत्व विध्यमान होने से, क्यों बौखलाते हैं भारत के शत्रु ? तथा भारत में नई सत्ता से भारत के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया, क्यों उन्हें विक्षिप्त बना रही है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा तो कि शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधी, रेडियोधर्मिता का प्राकृतिक केंद्र व प्रतीक माना जाता है। इतना ही नहीं, सक्रिय रेडियोधर्मिता सभी ज्योतिर्लिंग की विशेषता है। अर्थात सम्पूर्ण वैज्ञानिक शक्तिपुंज की आराधना। यह प्रमाण है, युगों पूर्व भारत के वैज्ञानिक चरम का।
किन्तु शर्मनिरपेक्ष दलों व उनके दल्लों, शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया ने उसके प्रति नकारात्मक भाव भरना ही है।
उसी नकारात्मक शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया का सकारात्मक विकल्प, विविध विषयों के 30 ब्लॉग YDMS
www.yugdarpan.simplesite.com
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया;
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है।
रंगीन मीडिया की चमक के पीछे, कालिख जब दिखती न थी;
तब नकारात्मक का सकारात्मक विकल्प लिए युगदर्पण आया;
15 वर्ष में वो अंतर, जब देश भर की, प्रत्यक्ष समझ में है आया:
दूसरे चरण में नकारात्मक हटाओ, सकारात्मक अपनाओ। यु.द. - तिलक 

Friday, April 1, 2016

उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!!

उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!! 

चन्दन है इस देश की माटी, तपो भूमि हर ग्राम है, (इसी प्रकार के अन्य गीत, YDMS संस्कार कोष) 
कहाँ गए वो संस्कारी गीत ? स्वयं को पहचानो। जिस शिखर से तुम गिरे हो, उसका मार्ग जानो। क्षमताओं को जागृत कर, मार्ग प्रशस्त करो। जिससे विश्व का मार्ग दर्शन कर सको। विश्व बाट जोह रहा है। तिलक -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 
https://www.youtube.com/watch?v=yngFqZo5Db4&index=1&list=PL3G9LcooHZf3de3bFQ2LQ50y8x9Z6i7-v 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक 

Wednesday, March 23, 2016

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि 
तिलक 
23 मार्च 16  न दि 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को सर्वोच्च बलिदान उनके पर श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को उनके शहीदी दिवस के अवसर पर नमन करता हूं और पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाले उनके अदम्य साहस और देशभक्ति के लिए उन्हें नमन करता हूं।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अपने युवाकाल में इन तीन बहादुर लोगों ने अपने जीवन त्याग दिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां आजादी की हवा में सांस ले सकें।’’ आज ही के दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को निर्धारित समय से कुछ घंटे पूर्व ही फांसी पर चढ़ा दिया गया था। इन तीनों को लाहौर कांड मामले में मृत्यु दंड की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री ने समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया को भी उनकी जयंती के अवसर पर स्मरण किया। उन्होंने लोहिया को ‘‘एक ऐसा विद्वान और मौलिक विचारक’ बताया, जिन्होंने दूसरे दलों के लोगों को भी प्रेरणा दी।'' 
मोदी ने लोहिया के उस पत्र की भी एक प्रति सार्वजनिक की, जो उन्होंने महात्मा गांधी को 30 अप्रैल, 1941 को बरेली सेंट्रल जेल से लिखा था। इस पत्र में लोहिया ने अलमोड़ा के हरि दत्त कंदपाल का परिचय गांधी से करवाया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि कंदपाल अहिंसा में गहरा विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं और जेल से मुक्त होने के बाद उनसे (गांधी से) मिलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का भी उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर अभिनंदन किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। मोदी ने कहा, ‘‘कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी को, उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर, मेरी हार्दिक बधाई।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पूज्य शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी ने अपना जीवन सेवा और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित कर दिया है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीघायु होने की कामना करता हूं।'' 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Wednesday, January 27, 2016

ये है मनोहर लाल जी का मनोहारी हरियाणा।

ये है मनोहर लाल जी का मनोहारी हरियाणा। 
Image result for manohar lal khattar in hindiहोटल के खाने का ऐसा बिल जिसे पढकर, आपके भी आंखों से भावुक आंसू आयेंगे.!

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हरयाणा के एक होटेल में घटी सत्य घटना है ...!!
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रात का समय था, होटल की मेज रखा पर 
अपना खाना, एक समान्य वयस्क श्रमिक बैठा खा रहा था ..! तभी उसकी दृष्टी होटल के बाहर कडी ठण्ड में खडे छोटे से भाई बहन की जोडी पर गई ...!!
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जो दोनों बच्चों का दुखी चेहरा, 
खाने की थाली पर कातर दृष्टी से देखते बच्चे, यह बात उस व्यक्ति के ध्यान में क्षण भर में आ गयी ...!! 
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आँखों से संकेत करते दोनों बच्चों को अंदर बुलाया, बच्चे संकोच से डरते डरते ही अंदर आये,
उस समान्य श्रमिक ने दोनों बच्चों के लिए खाने की दो थाली मंगाई .....
नन्हे बच्चें, अपने नन्हे से हाथों में जो बैठ रहा था, वो फटाफट खा रहे थे ......
नन्हे बच्चों के पेट में भूख की आग बुझ रही थी ...
खाना खाने के पश्चात् उस आदमी ने बिल मंगवाया .....!!
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काउंटर पर से बिल आया, आँकड़ा देखकर वो व्यक्ति स्तब्ध, निशब्द रह गया ..!!
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जानते है, बिल कितना था ?
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उस बिल पर लिखा था "हमारे पास ऐसी कोई मशीन या फिर आँकडा नहीं, जिससे मानवता का मुल्य गिना जा सके, भगवान आपका भला करे "
...ये है मनोहर लाल जी का आज का मनोहारी हरियाणा। 
🏻 🏻मानवता को प्रणाम कहो कैसी रही 
जब देश का नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, 
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान 
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Tuesday, January 19, 2016

महाराणा प्रताप 'वीरयोद्धा और स्वाभिमानी' नायक

महाराणा प्रताप 'वीरयोद्धा और स्वाभिमानी' नायक
स्वतंत्रता के प्रति दृढ़ संकल्पवान वीर शासक एवं महान देशभक्त महाराणा प्रताप का नाम, इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है।  महाराणा प्रताप युग के महान व्यक्ति थे। ज्येष्ठ शुक्ल तीज सम्वत् (9 मई )1540 को मेवाड़ के राजा उदय सिंह के घर जन्मे ज्येष्ठ पुत्र, महाराणा प्रताप को बचपन से ही अच्छे संस्कार, अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञान और धर्म की रक्षा की प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली।

 सादा जीवन और दयालु स्वभाव वाले महाराणा प्रताप की वीरता और स्वाभिमान तथा देशभक्ति की भावना से, अकबर भी बहुत प्रभावित हुआ था। जब मेवाङ की सत्ता राणा प्रताप ने संभाली, तब आधा मेवाड़ मुगलों के अधीन था और शेष मेवाड़ पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिये अकबर प्रयासरत था। राजस्थान के कई परिवार अकबर की शक्ति के आगे घुटने टेक चुके थे, किन्तु महाराणा प्रताप अपने वंश को चलाये रखने के लिये संघर्ष करते रहे और अकबर के सामने आत्मसर्मपण नहीं किया। जंगल-जंगल भटकते हुए भी, उन्होंने कभी धैर्य नहीं खोया, पैसे के अभाव में सेना के टूटते हुए मनोबल को पुनर्जीवित करने के लिए दानवीर भामाशाह ने अपना पूरा कोष समर्पित कर दिया। तो भी, महाराणा प्रताप ने कहा कि सैन्य आवश्यकताओं के अतिरिक्त मुझे आपके कोष की एक पाई भी नहीं चाहिये। अकबर के अनुसार  महाराणा प्रताप के पास साधन सीमित थे, किन्तु फिर भी वो झुका नहीं, डरा नहीं।

महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी के युद्ध के बाद का समय पहाड़ों और जंगलों में व्यतीत हुआ। अपनी पर्वतीय युद्ध नीति के द्वारा उन्होंने अकबर को कई बार पराजय दी। यद्यपि जंगलों और पहाड़ों में रहते हुए महाराणा प्रताप को अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ा, किन्तु उन्होने अपने आदर्शों को नहीं छोड़ा। महाराणा प्रताप के सुदृढ़ संकल्पों ने अकबर के सेनानायकों के सभी प्रयासों को असफल बना दिया। उनके धैर्य और साहस का ही प्रतिफल था कि 30 वर्ष के निरंतर प्रयास के बाद भी अकबर महाराणा प्रताप को बन्दी न बना सका। महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा ‘चेतक‘ था, जिसने अंतिम सांस तक अपने स्वामी का साथ दिया था।

 हल्दीघाटी के युद्ध में उन्हें भले ही पराजय का सामना करना पड़ा, किन्तु हल्दीघाटी के बाद अपनी शक्ति को संगठित करके शत्रु को पुनः चुनौती देना, प्रताप की युद्ध नीति का एक अंग था। महाराणा प्रताप ने भीलों की शक्ति को पहचान कर उनके अचानक धावा बोलने की प्रक्रिया को समझा और उनकी छापामार युद्ध पद्धति से अनेक बार मुगल सेना को कठिनाइयों में डाला था। महाराणा प्रताप ने अपनी स्वतंत्रता का संघर्ष जीवनपर्यन्त जारी रखा। अपने शौर्य, उदारता तथा सदगुणों से जनसमुदाय में लोकप्रिय थे। महाराणा प्रताप सच्चे क्षत्रिय योद्धा थे, उन्होने अमरसिंह द्वारा पकड़ी गई बेगमों को सम्मान पूर्वक वापस भिजवाकर अपने विशाल ह्रदय का परिचय दिया था।

हल्दीघाटी के युद्ध में पराजय अपनी शक्ति और कौशल में कमी के कारण नहीं, अपितु राजा मानसिंह, भाई शक्ति सिंह का अहम और दुष्ट, ईर्ष्यालु भाई जगमाल की सत्तालोलुप महत्वाकांक्षा के कारण अकबर का साथ देने से हुई। 
महाराणा प्रताप में अच्छे सेनानायक के गुणों के साथ-साथ अच्छे व्यवस्थापक की विशेषताएँ भी थी। अकबर की उच्च महत्वाकांक्षा, शासन निपुणता और असीम साधनों के बाद भी महाराणा प्रताप की अदम्य वीरता, साहस और उज्ज्वल कीर्ति को परास्त न कर सकी। अंतत: शिकार के समय लगी चोटों के कारण महारणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी 1597 को चावंड में हुई।
राष्ट्रद्रोहियों को परास्त करना ही, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जिससे हल्दी घाटी हमें फिर घाव न दे सके। भारत के शत्रुओं को दण्डित करने से हम सशक्त होंगे, वे क्षमा योग्य नहीं, न यह मानवता वाद। 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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