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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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Tuesday, March 5, 2013

2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक,

2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक,
mar_2_2013_d2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली, में राज नाथ सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व पुन: ग्रहण करने के पश्चात् प्रथम बैठक में देश के विभिन्न कोनों से आए कार्यकर्ताओं के साथ, इस देश के लोगों की बड़ी अपेक्षाओं के दायित्व की भावना और अधिक चुनौतियों को बांटा। 

शनिवार को नई दिल्ली में शुरू हुई भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के उल्लेख के विशेष बिन्दू :
तालियों की गड़गड़ाहट में परिषद के 2200 के आसपास सदस्यों ने मोदी का विशेष स्वागत किया। 
उनके अच्छे शासन की प्रशंसा अम्रीका व् यूरोप सभी ने की विकास मॉडल की अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सराहना की गई है।
* भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी का निर्णय संसदीय बोर्ड द्वारा उचित समय पर लिया जाना चाहिए।
"मुद्रास्फीति की दर और भ्रष्टाचार यूपीए सरकार की पहचान बन गए हैं।
* सुशासन के मुद्दे पर उत्साहित भाजपा ने कांग्रेस नीत संप्रग को काराविदेश नीति, और आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद, अर्थव्यवस्था में विफल और भ्रष्टाचार में लिप्त संप्रग सरकार को राने का आवाहन किया।  
* सरकार में इच्छा शक्ति नहीं और इन मुद्दों से निपटने के लिए दृढ़ संकल्प का अभाव है।
* मोदी और उसके मध्य प्रदेश समकक्ष शिवराज सिंह चौहान ने संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा सकता है। 
भाजपा ने सत्ता में आने पर एक अलग राज्य के रूप में उचित समय में तेलंगाना गठन के लिए वादा किया। 
विश्वास है कि इस वर्ष दो राज्यों में जब विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके छत्तीसगढ़ समकक्ष रमन सिंह का नाम भी लगातार तीन चुनावों में जीत का हो जाएगा।
* बहु - ब्रांड खुदरा क्षेत्र में नीति के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति छोटे व्यापारी  को आघात है, "यह आर्थिक उथल - पुथल लाएगा, जिसे रोकना व हटाना चाहिए। 
* राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, दिल्ली और झारखंड, के आगामी विधानसभा चुनावों तथा 2014 के सामान्य चुनावों में अच्छी तरह से एकजुट होकर लड़ाई के लिए तैयारविजय की मुद्रा में दिखी भाजपा।
** आर्थिक संकल्प ** राजनेतिक संकल्प 
अध्यक्षीय भाषण में राज नाथ सिंह ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक के इस समय दो ऐतिहासिक अवसरों का संयोग व साक्षी मान कहा है, दोस्तों, एक, तीर्थराज प्रयाग का महाकुंभ पर्व और दूसरे पूरा देश स्वामी विवेकानन्द की 150वीं वर्षगाँठ मना रहा है महाकुंभ विश्व में मानव जाति के ज्ञात इतिहास की सबसे बड़ी घटना व इसकी महानता और निरंतरता भारतीय राष्ट्र के जीवन के शाश्वत शक्ति का प्रतीक है स्वामी विवेकानंद ने 1892 में एक युवा सन्यासी के रूप में अमेरिका में केवल 29 वर्ष की आयु में भारतीय धर्म और दर्शन का जो उदघोष  किया और उसने पूरे भारत की चेतना को एक नई ऊर्जा दी थी इसके माध्यम भारत इतिहास की नई करवट लेने लगा और जिसके बारे में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'भारत की डिस्कवरी' (337 पेज) में लिखा है, "विवेकानंद उदास और हतोत्साहित भारतीय मन के लिए एक टॉनिक के रूप में आया था और इसने आत्मनिर्भरता के साथ अतीत की कुछ जड़ों में देखना शुरू कर दिया है"
आज के वैश्वीकरण के युग में युवा, भारत के लिए नई ऊंचाइयों को प्राप्त करना चाहते हैं मुझे विश्वास है कि 19 वीं सदी में एक युवा सन्यासी के रूप में स्वामी विवेकानंद ने भारत को जो वैश्विक मान्यता दिलाई है, तो उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के प्रथम युवा है, जिसने  वैश्वीकरण समझ कर और इसके अनुसार अपने विचारों को रखा गया था तो राज नाथ सिंह ने इस अवसर पर हमें युवा शक्ति की उर्जा के साथ आध्यात्मिक और राष्ट्रीय गौरव का स्पंदन, जो भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक दर्शन और वैचारिक अधिष्ठान का आधार स्वामी विवेकानंद है, का आभास कराया  इसके साथ महा कुम्भ की मौनी अमावस्या के दिन प्रयाग में कई तीर्थयात्रियों के जीवन खोने और केवल कुछ दिनों पहले हैदराबाद में बम विस्फोट में मारे गए कई निर्दोष लोगों, की कुछ दुखद घटनाओं को संवेदना से व्यक्त किया।
गुजरात विधानसभा में नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में तीसरी क्रमिक जीत के लिए, भाजपा और अन्य पार्टी के शासन के बीच एक उदाहरणीय अंतर दर्शाते मोदी को भी बधाई दे, देश की वर्तमान बहुत गंभीर घृणित स्थिति, आर्थिक कुप्रबंधन, महंगाई, भ्रष्टाचार, असमर्थ प्रशासन, दिशाहीन नीतियों, कूटनीति में विफल और सुस्त आंतरिक और बाह्य सुरक्षा आदि सहित किसी भी क्षेत्र में चुनौतियों के समाधान के लिए भी बोले। देश के जनसामान्य के दैनिक जीवन के साथ, देश के अन्दर व सीमा की चुनौतियो तथा इनसे कांग्रेस नेतृत्व की संप्रग सरकार से क्षुब्ध , निराश व हतोत्साहित देश परिवर्तन व विकल्प चाहता है। ऐसे में विकल्प भाजपा नेतृत्व में राजग है। 
ऐसे में, जब सबसे सम्मानित अटल जी सक्रिय नहीं, सम्मानित आडवाणी जी के मार्गदर्शन के तहत  कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम और हमारे लोकप्रिय और सक्षम नेताओं की रणनीति के साथ, हमारी जीत सुनिश्चित है इसमें कोई संदेह नहीं है
सुरक्षा पर संकट 
इस देश में हैदराबाद में बम विस्फोट आतंकवाद की पहली घटना नहीं है आज यहाँ हर एक बड़ा शहर आतंकवादियों के लक्ष्य पर है। जब 2008 में मुंबई हमले के मद्देनजर आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की अपनी ही नीति, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह मिस्र में शर्म - अल - शेख शहर में यह कह कर त्याग देते हैं कि पाकिस्तान भी भारत की तरह आतंकवाद का शिकार है यूपीए सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई को गंभीर झटका दिया था, व पाकिस्तान के सामने अपने घुटनों को टेक दिया था। आतंकवाद के विरुद्ध पाकिस्तान से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर भी दोस्ती के लिए पीछे -2 भागने की नीति से एक 'नरम राज्य' के रूप में भारत की छवि बनाई गई। जब तक सरकार आतंकवाद के विरुद्ध साहस की भावना के साथ एक कड़ा रुख नहीं लेती, इस देश में आतंकवादी कई शहरों, गाड़ियों, बसों और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों लक्ष्य करता है लंबे समय के लिए घटनाओं को रोका नहीं जा सकता । 
आतंकवाद मानवता के विरुद्ध सबसे अमानवीय अपराध है। आतंकवाद को धर्म, विचारधारा के स्तर पर या किसी भी प्रणाली के विरुद्ध के रूप में औचित्य/ समर्थन न ही स्वीकार कर सकते हैं और न ही किया जाना चाहिए । 
युग दर्पण यह मानता है कि इस्लामिक आतंकवाद के नाम पर आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, कहने वाले द्वारा हिन्दू आतंकवाद कह कर वोट बैंक की राजनीति में लिप्त रहना कांग्रेस पार्टी की नीति रही है चाहे वह बाटला हाउस मुठभेड़ के मुद्दे पर या निराधार 26/11 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साजिश का आरोप लगाने वाली पुस्तक का विमोचन किया जाना था, या केंद्र सरकार के गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने जो भी कहा, राष्ट्रीय हितों पर घात, जानकर किया गया राष्ट्रघात है। 
पराकाष्ठा जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, आतंकवाद के कृत्यों में आरोपी व्यक्तियों के घरों पर आँसू बहाने आजमगढ़ पहुंच जाते हैं, किन्तु भारतीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा शहीद हो गए और जिन सैनिकों के सिर कटे थे, उनके गांव का दौरा करने के लिए इनके पास समय नहीं है समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में यूपीए सरकार ने लश्कर के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दी थी, जिसके आधार पर अमेरिका ने लश्कर पर प्रतिबंध लगा दिया था, पर उसी के नेता कांग्रेस के रूप में अचानक राजनीतिक कारणों से 'भगवा आतंकवाद' की बात, आरएसएस - के बारे में मनगढ़ंत कहानी द्वारा भ्रमित करना चाहते हैं, तथा आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई हराना चाहते है। 
जब गृह मंत्री राजनीतिक कारणों से आतंक के अपने शिविरों में प्रशिक्षण देने के बारे में आरोप गढ़ते हैं, त भारत को आतंकवादी देश घोषित किया जाने के अपने प्रयासों में, लश्कर हाफिज सईद ने पाकिस्तान में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है कांग्रेस पार्टी न तो वैचारिक और न ही मानसिक रूप से आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक युद्ध के लिए तैयार है केवल भाजपा आतंकवाद के किसी भी धार्मिक रंग देने के पूरी तरह से विरुद्ध है आतंकवाद के विरुद्ध एक निर्णायक युद्ध लड़ने में सक्षम है
 (जनता से सीधे जुड़े अन्य मुद्दों पर सीधे वीडियो देखें,: राज नाथ सिंह अध्यक्षीय भाषण 2 मार्च 2013-  https://www.youtube.com/watch?v=LYgKW66f7_8&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=48)
सभी वीडियो राष्ट्रीय परिषद-  https://www.youtube.com/playlist?list=PL07E4C2D4718D3CC6
आंतरिक सुरक्षा संकट पूर्वोत्तर क्षेत्र में अवैध घुसपैठ व नक्सलवा :
अवैध रूप से बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों के समूहों से, न केवल पूर्वोत्तर राज्यों के जनसांख्यिकीय रूपरेखा बदल रही है, अपितु इस क्षेत्र में रहने वाले भारतीय नागरिकों के साथ भी (हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं) आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों के लिए हिंसा पर उतारू है जबकि आईएमडीटी अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह भारत पर बाह्य आक्रमण के समकक्ष है तो इन घुसपैठियों की पहचान तथा एक समयबद्ध कार्यक्रम में लौट जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पूर्वोत्तर में बनाया जाना चाहिए सीमा प्रबंधन के लिए एक उचित नीति होनी चाहिए यूपीए सरकार ने अपने राज्य असम में हिंसा के बाद भी सबक नहीं सीखा है पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिले में हिंसक घटनाए रहे हैं अब बांग्लादेशी असम से त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में फैल रहे हैं । यह सब भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए उत्पन्न चुनौतियों में एक अंतर्दृष्टि देता है यदि यूपीए सरकार इस संज्ञान में और अवैध घुसपैठ में नकेल नहीं लगाती है तो पूर्वोत्तर आग की लपटों में स्वाहा हो जाएगा। 
   देश का आधा भूभाग नक्सली चपेट में है, एक एकीकृत नीति की और इस के साथ साथ वहाँ नक्सल समस्या को बौद्धिक समर्थन देने वाले चरम वामपंथी बुद्धिजीवियों को बौद्धिक स्तर पर नियंत्रित की आवश्यकता है
आर्थिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/playlist?list=PL8Z1OKiWzyBH5cYSl-5k2QwQ-UT5oyRRH
राजनैतिक प्रस्ताव पूरा पदें,/ 
वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=CiK-iG_mFL4&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=52
भाजपा सुशासन व अन्य वर्ग:
http://raashtradarpan.blogspot.in/2013/03/2-3-2013_8.html
आर्थिक कुप्रबंधन (संप्रग) /विकास (राजग)

कार्यकर्त्ता और संगठन
भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्त्ता आधारित संगठन है आज भी देश के लोगों को हम सभी कार्यकर्त्ताओं से एक अद्वितीय और प्रतिष्ठित आचरण आपेक्षित है हम सभी उत्साही कार्यकर्त्ता पार्टी और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं परन्तु राजनीति में, गरिमा और आत्म संयम का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है राजनीति में एक सूक्ष्म बात छिपी है कि एक व्यक्ति राजनीति में उच्च स्थान केवल इसलिए नहीं पा लेता है, कि उसने क्या क्या किया, बल्कि इसलिए अधिक बनता है, कि राजनीति में रहते हुए क्या किया जा सकता थापरन्तु नहीं किया या दूसरे शब्दों में अवसर और लालच होने के बाद भी क्या वह संयम रखता है । इस देश की जनता भाजपा कार्यकर्त्ता के, क्या नहीं किया जाना चाहिए के पक्ष पर, अधिक संवेदनशील रहती हैं
अंत में संगठनात्मक मूल मंत्र के बारे में राज नाथ सिंह ने कहा :-
यदि हम इसे सारांश में कहें, तो कार्यकर्त्ता के लिए संगठनात्मक मूल मंत्र होना चाहिए:-
व्यक्तिगत स्तर पर 'आत्म संयम'
संगठनात्मक स्तर पर 'समन्वय'
सामाजिक स्तर पर 'सेवा और संघर्ष
राष्ट्र के स्तर पर 'समर्पण'.
तो, संयम, समन्वय, संघर्ष, और समर्पण हमारे संगठनात्मक मूल मंत्र होना चाहिए.
राज नाथ सिंह ने कहा, भारत माता के चरणों में समर्पित देश के अत्यंत दुर्लभ और समर्पित कार्यकर्त्ता समूह से युक्त पार्टी संगठन, को रामचरितमानस से एक उदाहरण दिया कैसे हनुमान जी लंका जा कर सीता माता को दुखी व मुक्त होने के प्रति शंकित जानकर आश्वस्त करते हैं कि अकेले सक्षम होने पर भी, अपने समाज व प्रभु की महिमा के लिए इस कार्य को सबके साथ मिल कर करना चाहते हैं।
हनुमान जी की तरह हमारे सभी कार्य एकजुटता की भावना के साथ पूरे संगठन और हमारे भक्ति का केंद्र इस देश की प्रतिष्ठा में वृद्धि करने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए
आने वाले चुनावों
दोस्तों, वर्ष 2013 हमारे लिए महत्वपूर्ण है कुछ ही महीनों में कर्नाटक में चुनाव  हैं  इस वर्ष के नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली में चुनाव  हैं संभवत: झारखंड में चुनाव भी इस वर्ष हो सकता है यह सभी राज्य हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं लोकसभा के लिए चुनाव किसी भी समय हो सकता है हो सकता है कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय परिषद की यह अन्तिम बैठक है यह स्पष्ट है कि बैठक के बाद हम सभी कार्यकर्त्ता अपने - अपने क्षेत्र में लोकसभा के लिए तैयारी में, सभी चुनावों में जीत के संकल्प के साथ, और अंत में लोकसभा चुनावों में दिल्ली विजय का संकल्प लिए, हम घर के लिए प्रस्थान करेंगे 
भारत माता की जय!
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Thursday, February 14, 2013

बसंत पंचमी 15.2.2013, इसे राष्ट्र रक्षा संकल्प दिवस रूप में मनाएं। 
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बसंत पंचमी के पावन पर्व पर माँ सरस्वती की कृपा हम सब पर बनी रहे । बसंत महोत्सव एक उल्लास का माह है  बसंत ऋतु का आगमन: प्रकृति अपने आगमन का आभास आपको स्वत: रा देती है खेतो मे पीली पीली सरसों और हरे गेहूं का सामंजस्य एक कलाकार के द्वारा उकेरी हुई कलाकृति की भाति ह्रदय को प्रफुल्लित करता है । बसंत पंचमी के दिन नए कार्यो का शुभारम्भ हो जाता है। प्राचीन समय मे बच्चो की पढाई आज से ही शुरू होती थी, तख्ती पूजी जाती थी । आज बसंत पंचमी वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस है, हो सके तो बहादुर बालक की वीरता का स्मरण करे । 
बसंत पंचमी 15.2.2013 तथा वीर बालक हकीकत राय का बलिदान दिवस, देश की वर्तमान दुर्दशा से निकलने के लिए, हमें फिर से ऐसे बालक घर घर में हों, यह संकल्प लेना चाहिए। 
मुग़ल काल में अब से 280 वर्ष पूर्व बसंत पंचमी के दिन, बसंत के रंग में भंग डाला गया, आज भी देश वही सब कहीं अधिक भुगत रहा है। तब देश व धर्म के लिए भागमल खत्री (सियालकोट पंजाब) व माता दुर्गा देवी के 12 वर्षीय वीर बालक हकीकत राय का 1734 में बलिदान हो गया। देश की स्वतंत्रता के लिए अमर शहीद भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव, हँसते -2 फांसी के तख्ते को चूम गए, तो इसी परम्परा की कड़ी थी। 
आधुनिकता व कथित प्रगतिशीलता की शर्मनिर्पेक्षता ने वह कड़ी तोड़ डाली, अब क्रान्तिकारी नहीं बलात्कारी पैदा होने लगे। परम्परा की पुरानी कड़ियों को जोड़ कर, आधुनिक इंडिया को बदल, आदर्श भारत बनायें। दिल माने तो, यह सन्देश घर घर पहुचाएं। -तिलक युग दर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611.  
वीर हकीकत राय की जीवन गाथा:  यह 1734 घटना की है जब भारत पर मुगलों का क्रूर शासन था। भागमल खत्री (सियालकोट पंजाब) व माता दुर्गा देवी के धर्म परायण, आरंभ से ही कुशाग्र बुद्धि रहे 10 वर्षीय वीर बालक हकीकत राय ने 4-5 वर्ष की आयु मे ही इतिहास तथा संस्‍कृत आदि विषय का पर्याप्‍त अध्‍ययन कर लिया था। 10 वर्ष की आयु मे फारसी पढ़ने के लिये मौलबी के पास मदरसे मे भेजा गया वहॉं के मुसलमान छात्र हिन्‍दू बालको तथा हिन्‍दू देवी देवताओं को अपशब्‍द कहते थे। बालक हकीकत उन सब के कुतर्को का प्रतिवाद करता और उन मुस्लिम छात्रों को वाद-विवाद मे पराजित कर देता। 
तब एक दिन कुछ मुसलमान बच्चो ने मिलकर उसे गालियाँ दीं। पहले तो वह चुप रहा। वैसे भी सहनशीलता तो हिन्दुओं का गुण है ही... किंतु जब उन उदंड बच्चों ने धर्म का अपमान की गालियाँ देनी शुरु कीं, तब उस वीर बालक से अपने धर्म का अपमान से सहा नहीं गया।
हकीकत राय ने कहाः "अब हद हो गयी ! अपने लिए तो मैंने सहनशक्ति को उपयोग किया किन्तु मेरे धर्म, गुरु और भगवान के लिए एक भी शब्द बोलोगे तो यह मेरी सहनशक्ति से बाहर की बात है। मेरे पास भी जुबान है। मैं भी तुम्हें बोल सकता हूँ।" 
उद्दंड बच्चों ने कहाः "बोलकर तो दिखा ! हम तेरी खबर ले लेंगे।"
हकीकत राय ने भी उनको दो-चार कटु शब्द सुना दिये। बस, उन्हीं दो-चार शब्दों को सुनकर मुल्ला-मौलवियों को खून उबल पड़ा। वे हकीकत राय को ठीक करने का अवसर ढूँढने लगे। एक ओर वे सब लोग और हकीकत राय अकेला दूसरा ओर। उस समय मुगलों का ही शासन था, बालक के परिजनो के द्वारा लाख सही बात बताने के बाद भी, काजी ने एक न सुनी। 
इसलिए हकीकत राय को जेल में कैद कर दिया गया और निर्णय सुनाया कि 'यदि तुम कलमा पढ़ लो और मुसलमान बन जाओ तो तुम्हें अभी माफ कर दिया जायेगा और यदि तुम मुसलमान नहीं बनोगे तो तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दिया जायेगा।' उस बालक ने कहा मैंने गलत नही कहा और मैं इस्लाम स्वीकार नही करूँगा ।
हकीकत राय के माता-पिता जेल के बाहर आँसू बहा रहे थेः "बेटा ! तू मुसलमान बन जा। कम से कम हम तुम्हें जीवित तो देख सकेंगे !" .....किंतु उस बुद्धिमान सिंधी बालक ने कहाः
"क्या मुसलमान बन जाने के बाद मेरी मृत्यु नहीं होगी?"
माता-पिताः "मृत्यु तो होगी ही।"
हकीकत रायः ".... तो फिर मैं अपने धर्म में ही मरना पसंद करुँगा। मैं जीते जी दूसरों का धर्म स्वीकार नहीं करूँगा।"
क्रूर शासकों ने हकीकत राय की दृढ़ता देखकर अनेकों धमकियाँ दीं किंतु उस वीर किशोर पर उनकी धमकियों का जोर न चल सका। उसके दृढ़ निश्चय को पूरा राज्य-शासन भी न डिगा सका।
अंत में मुगल शासक ने उसे प्रलोभन देकर अपनी ओर खींचना चाहा, किंतु वह बुद्धिमान व वीर किशोर प्रलोभनों में भी नहीं फँसा। अंतत: क्रूर मुसलमान शासकों ने आदेश दिया कि 'बसंत पंचमी के दिन बीच मैदान में हकीकत राय का शिरोच्छेद किया जायेगा।' बीबी फातिमा को वह गाली जो कि वीर हकीकत राय ने दिया ही  था, उस एक गाली के कारण उसे फॉंसी दे दी
उस वीर हकीकत राय ने गुरु का मंत्र ले रखा था। गुरुमंत्र जपते-जपते उसकी बुद्धि सूक्ष्म हो गयी थी। वह 14 वर्षीय किशोर जल्लाद के हाथ में चमचमाती हुई तलवार देखकर जरा भी भयभीत न हुआ वरन् अपने गुरु के दिये हुए ज्ञान को याद करने लगे कि 'यह तलवार किसको मारेगी? मार-मारकर इस पाँचभौतिक शरीर को ही तो मारेंगी और ऐसे पंचभौतिक शरीर तो कई बार मिले और कई बार मर गये। ....तो क्या यह तलवार मुझे मारेगी? नहीं, मैं तो अमर आत्मा हूँ... परमात्मा का सनातन अंश हूँ। मुझे यह कैसे मार सकती है? ॐ....ॐ....ॐ...
हकीकत राय गुरु के इस ज्ञान का चिन्तन कर रहा था। तभी क्रूर काजियों ने जल्लाद को तलवार चलाने का आदेश दिया। जल्लाद ने तलवार उठायी किंतु उस निर्दोष बालक को देखकर उसकी अंतरात्मा थरथरा उठी। उसके हाथों से तलवार गिर पड़ी और हाथ काँपने लगे।
काजी बोलेः "तुझे नौकरी करनी है कि नहीं? यह तू क्या कर रहा है?"
तब हकीकत राय ने अपने हाथों से तलवार उठायी और जल्लाद के हाथ में थमा दी। फिर वह किशोर आँखें बंद करके परमात्मा का चिन्तन करने लगाः 'हे अकाल पुरुष ! जैसे साँप केंचुली का त्याग करता है, वैसे ही मैं यह नश्वर देह छोड़ रहा हूँ। मुझे तेरे चरणों की प्रीति देना, ताकि मैं तेरे चरणों में पहुँच जाऊँ.... फिर से मुझे वासना का पुतला बनकर इधर-उधर न भटकना पड़े.... अब तू मुझे अपनी ही शरण में रखना.... मैं तेरा हूँ... तू मेरा है.... हे मेरे अकाल पुरुष !'
इतने में जल्लाद ने तलवार चलायी और हकीकत राय का सिर धड़ से अलग हो गया।
हकीकत राय ने 14 वर्ष की छोटी सी आयु में धर्म के लिए अपनी बलि दे दी। उसने शरीर छोड़ दिया किंतु धर्म न छोड़ा।
बसंत पंचमी के दिन पर उनकी शहादत के सम्मान मेंहर वर्ष 1947 भारत के विभाजन तक, एक वार्षिक मेले का आयोजि किया जाता था और लाहौर इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के पास वीर हकीकत राय की एक समाधि भी बनाई गई थी । 
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गुरु तेगबहादुर बोलिया,
सुनो सिखो ! बड़भागिया, धड़ दीजे धरम न छोड़िये....
हकीकत राय ने अपने जीवन में यह वचन चरितार्थ करके दिखा दिया।
हकीकत राय तो धर्म के लिए बलिवेदी पर चढ़ गया, किंतु उसके बलिदान ने समाज क हजारों-लाखों जवानों में एक जोश भर दिया कि 'धर्म की राह में प्राण देने पड़े तो देंगे; किंतु विधर्मियों के आगे कभी नहीं झुकेंगे। अपने धर्म में भले भूखे मारना पड़े तो भी स्वीकार है किंतु परधर्म को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।'
ऐसे वीरों के बलिदान के फलस्वरूप ही हमें आजादी प्राप्त हुई है और ऐसे लाखों-लाखों प्राणों की आहुति द्वारा प्राप्त की गयी इस आजादी को हम कहाँ व्यसन, फैशन और चलचित्रों से प्रभावित होकर गँवा न दें ! अब देशवासियों को सावधान रहना होगा।
प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म के प्रति श्रद्धा और आदर होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा हैः
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। 
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।। 
'अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरे का धर्म भय को देने वाला है।'
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलककभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलकविश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Wednesday, February 13, 2013

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी"

"आधुनिकता की उपज - आधुनिक रावण व दामिनी" 
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विगत दिनों घटे सामूहिक बलात्कार कांड से देश भर में जनाक्रोश के बाद भी स्थिति यथावत रहने की टीस समाज में बनी रहना, व इसे लेकर समाज के नर नारी में टकराव बनाने का प्रयास करते तत्व यह दृश्य जिन्हें कचोटता नहीं, वे इसे महिला विरोधी हिंसा या पुरुषों का दोष बताएँगे। देश में कुकुरमुत्ते जैसे गली -2 उगते रावण व दमिनीयों के शीलहरण की इन घटनाओं का कारण, जब वैलेंटाइन की कथित प्रगति शील आधुनिक अपसंस्कृति की उपज कहा जाता है, इन्हें आपत्ति होती है। किन्तु वामपंथियों व शर्मनिर्पेक्षों या इनसे भ्रमित युवाओं की आपत्तियों से सत्य को बदला तो नहीं जा सकता ? हम कहें आग लगा कर तवे पर रोटियां डाल दें, तथा किसी को हिलाने भी न दें; तो रोटियां जलना स्वाभाविक है। इसके लिए रोटी को आग से हटाना ही होगा । निश्चित ही अब इसे रोकने का समय आ गया है।
यह कहा जा सकता है, कि रावण तो त्रेता युग में था। हाँ, उसने भी सीता माता का अपहरण तो किया, किन्तु शीलहरण नहीं। अनजाने नहीं, कुचक्र पूर्वक किये गए, इतने अपराध के लिए; पूरे वंश का नाश तथा युगों युगों तक समाज में इसके प्रति जागरूकता बनाने वाले हमारे राष्ट्रीय पर्व, हमारी राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक हैं। वैलेंटाइन डे, ये डे -वो डे केवल आर्चीज़ जैसे महंगे सन्देश पत्र (ग्रीटिंग कार्ड) बेचने के उपभोग्तावादी, व किसी न किसी बहाने हमारे चेतना के पर्व हटाने के; चेतन संस्कृति को अपसंस्कृति में बदलने के, कुचक्र को समझने की आवश्यकता है। 
फिल्मों व चेनलों में शैली (स्टाइल) के नाम पर जो सिखाया जा रहा है। उसकी राष्टीय चेतना में सकारात्मक नहीं नकारात्मक भूमिका है। किसी फ़िल्मी या नायिका की किसी अदा को बार बार दिखाया जाता है। अभी किसी रियेलिटी शो में कहा व दिखाया गया, किसी फिल्म में नायक अक्षय ने जैसे (हे ...) कहा उसे दोहराना था। अथवा कहीं सलमान खान ने एक कपडा अपनी टांगों के बिच जैसे चलाया वही दोहराना, जैसी अनावश्यक बातें अथवा हमारे सामाजिक पारिवारिक सम्बन्ध के मूल तत्व के रहित केवल लोकप्रियता पाने हेतु इन नामों से ये डे -वो डे बनाकर, चालाकी से उपभोगतावाद बढाने के तिरिक्त,
इसमें हमारी चेतना व संस्कृति का कोई अंश नहीं है। 
अभी कमल हसन की एक फिल्म को मुस्लिम विरोध के कारण, दक्षिण में एक राज्य सरकार ने रोक लगा दी। इस प्रकार तुष्टीकरण से सदा उनका मनोबल बढाया जाता रहा है। इसके पूर्व अनेकों अवसरों पर हिन्दू भावनाओं पर आघात होते रहे। ऐसी फिल्मों व अन्य कार्यक्रमों तथा हुसैन के चित्रों व उसकी प्रदर्शनी के विरोध को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का विरोध बताया जाता रहा। किन्तु अब किसी के द्वारा मुस्लिमों से अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता या सहृदयता की अपेक्षा नहीं की गई।
हमारा लक्ष्य किसी सम्प्रदाय का विरोध नहीं अपितु ये दोहरे मापदंड व तुष्टीकरण की कुटिल नीति व इसके दुष्परिणामों से देश बचाने का है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ही धार्मिक /सांप्रदायिक भेदभाव का निकृष्ट राष्ट्र विरोधी कार्य करना शर्मनिर्पेक्षता है। समाज व राष्ट्र के लिए अहितकर है। स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष जो दूसरों को साम्प्रदायिक कहते हैं, स्वयं साम्प्रदायिकता के निकृष्टतम उदाहरण हैं। 
ऐसे इन शर्मनिर्पेक्ष तत्वों से सचेत रह कर, इनके कुचक्र से समाज को बचाने व राष्ट्र चेतना जगाने की आवश्यकता है। तथा उपभोगतावाद के दिए ए, अपसंस्कृति कारक वेलेंटान डे, फैशन व शैली (स्टाइल) नहीं, भारतीय जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार हमारी चेतन संस्कृति से दूर ले जाने के जो अन्य नए नए कुचक्र हैं, उनके स्थान पर अपने पर्व तथा दिवस मनाएं। कल 15 फरवरी बसंत पंचमी है। क्या हमारी युवा पीड़ी को इसके बारे में जानकारी है? भारतीय जीवन शैली व राष्ट्र चेतना से जुड़े पर्व मनाएं।
भारतीय पर्व जानने समझने ऐसी महत्त्वपूर्ण, विविधतापूर्ण नवीनतम जानकारी का सटीक व उत्कृष्ट स्त्रोत - जीवन शैली दर्पण, धर्मसंस्कृति दर्पण, राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, युवा दर्पण, ...। वेब से पायें हमारे 28 विविध ब्लाग, 5 चेनल, व अन्य सूत्र, नकारात्मक पत्रकारिता के सकारात्मक विकल्प का संकल्प युग दर्पण मिडिया समूह YDMS. 9911111611. yugdarpan.com
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Monday, February 11, 2013

महा कुंभ कुंप्रबंधन त्रासदी 2013.

महा कुंभ कुंप्रबंध त्रासदी 2013.

कुंभ में पवित्र स्नान के बाद स्टेशन पर कुंप्रबंध त्रासदी में 10 से 20, तीर्थयात्री मारे गए 

आज रात यहाँ महा कुंभ के 12 वर्षीय चक्र में सबसे शुभ दिन एक 'मौनी अमावस्या', के तीन करोड़ से अधिक लोगों को पवित्र स्नान के बाद, हजारों तीर्थयात्रियों के लौटने के साथ; इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में कम से कम 36 लोग मारे गए और कई दुर्घटना में घायल हो गए थे
मंडल रेल प्रबंधक हरिंदर राव के अनुसार, जब प्लेटफार्म 5 और 6 की भीड़ को व्यवस्थित करने हेतु पंक्तिबद्द करने 7 बजे में भगदड़ हुई। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि लाठीचार्ज  शुरू हो गया था, जो त्रासदी के घटक थे। जिसमे 10 लोग मारे गए और कई दुर्घटना में घायल हो गए थे बाद में संख्या 36 तक पहुच गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया गया था किन्तु राव ने कहा कि जब यात्रियों को एक लाइन में खड़ा किया जा रहा था कि भीड़ को नियंत्रण में लाने के बीच घटना हो गई फुट ओवर ब्रिज के लिए अग्रणी रेलिंग ध्वस्त हुआ   
उन्होंने कहा यह भी कि यात्रियों अटर एक ट्रेन के आगमन के बारे में सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली पर एक सूचना के पश्चात् एक अचानक उछाल था। घायलों को विभिन्न अस्पतालों में ले जाया गया है
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह त्रासदी में जीवन के नुकसान पर शोक जताया और रेलवे मंत्रालय को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है । सिंह ने केंद्रीय सरकार के विभागों का भी राहत कार्यों में उत्तर प्रदेश सरकार को हर संभव सहायता का विस्तार.करने के लिए निर्देशन दिए है 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक