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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Saturday, November 10, 2012

सार्थक दीपावली सन्देश

सार्थक दीपावली सन्देश:సార్థక దీపావలీ సన్దేశ  ,  ஸார்தக தீபாவலீ ஸந்தேஸ ,  ಸಾರ್ಥಕ ದೀಪಾವಲೀ ಸನ್ದೇಶ ,  സാര്ഥക ദീപാവലീ സന്ദേശ ,সার্থক দীপাবলী সন্দেশ,

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युगदर्पण का सार्थक दीपावली सन्देश: सार्थक दिपावली का अर्थ ? 
सार्थक दीपावली सन्देश...Pl. Like it, join it, share it. Tag 50 
युगदर्पण का सार्थक दीपावली सन्देश: सार्थक दिपावली का अर्थ ? 
दशहरा यदि सत्य का असत्य पर विजय का प्रतीक है, तो दीपावली प्रकाश का अन्धकार पर। आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।। 
यह दीपावली भारतीय जीवन से आतंकवाद, अवसरवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि की अमावस में, सत्य का दीपक जला कर धर्म व सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव, पुन:प्राप्त हो! अखिल विश्व में फैले सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आप सभी को सपरिवार, युगदर्पण परिवार की ओर से दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं। 
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com

दशहरा यदि सत्य का असत्य पर विजय का प्रतीक है, तो दीपावली प्रकाश का अन्धकार पर। आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
यह दीपावली भारतीय जीवन से आतंकवाद, अवसरवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि की अमावस में, सत्य का दीपक जला कर धर्म व सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव, पुन:प्राप्त हो! अखिल विश्व में फैले सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आप सभी को सपरिवार, युगदर्पण परिवार की ओर से दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं।
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Thursday, November 8, 2012

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-4,

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-4, ...Pl. Like it, join it, share it. Tag 50 frnds.
वन्देमातरम, क्या ये देश आपका नहीं है? अब कलम जगाये, तथा देश जागेगा -
शर्मनिरपेक्षता का उपचार

केजरीवाल ने जो दावे किये उनसे किसका अधिक लाभ हुआ 
न्यूज़ चैनलों का --टी.आर.पी.बढाने के लिए ? 

देश का ---भ्रष्टाचार कम करने के लिए ? 
न्यूज़ चैनलों का --टी.आर.पी.बढाने के लिए ? देश का ---भ्रष्टाचार कम करने के लिए ? 


स्वयं केजरीवाल का ---अपनी ब्रांडिंग करने के लिए ?
या मत और ध्यान बाँटने के लिए ? 


कृपया उत्तर दें 
दि आपके उत्तर देश की जनता के उत्तर से मिल जातें हैं, तो आपका 
दिल एक राहत
 पा सकता है  ...
अन्यथा शर्मनिरपेक्ष मीडिया, सरकार व केजरीवाल का यह चक्रव्यह चलता रहेगा। 
शर्मनिरपेक्ष मीडिया द्वारा हम सब को प्रभावित और गलत नेतृत्व किया जा रहा है ! 
कभी कोई शर्मनिरपेक्षता का रावण, भिन्न भिन्न कानून के रूप में या भिन्न भिन्न न्याय के रूप में हमें छलता है ! जब पाखंडी खुजली, तीस्ता सीतलवाद अब जालसाज दमानिया जैसे मक्कारों के फरेब का साथ देता है ! इन सब को हम भिन्न भिन्न घटनाएँ न माने, मेकाले के 1935 से चले आ रहे, एक घिनोने व्यापक कुचक्र का अभिन्न अंग समझें ! ये सब उसके शर्मनिरपेक्ष पात्र हैं ! जो अपनी लकीर बड़ी करना नहीं, दूसरे की लकीर छोटी दर्शाना जानते हैं, वो इस धारणा को सिद्ध करना चाहते हैं, कि सारे दल भ्रष्ट व सारे नेता चोर हैं ! तभी तो अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! पूरे समाज में ही मूल्यों की जो गिरावट हुई है, उसका मूल कारण भी यही शर्मनिरपेक्षता है ! 
इस चक्रव्यह का लक्ष्य सनातन धर्म व परम्परा का साथ देने वाले सभी हैं ! यह चक्रव्यह कांग्रेस और कांग्रेस शासित सत्ता के समर्थन से भाजपा और भाजपा शासित सत्ता के विरूद्ध निरन्तर चल रहा है ! 
यह अंतर जब तक हम समझ नहीं लेते, अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! -तिलक 
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | 
संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक
आइये, बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें, पहले सोच, फिर 2014 में सत्ता, फिर व्यवस्था का अमूल चूल परिवर्तन, को अपना लक्ष्य बनायें ! जागते रहो, जगाते रहो ! 
जागोगे नहीं, तो मिट जाओगे, अरे हिन्दोस्तान वालों, तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी, दस्तानों में ! 
जागते रहो- इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -
तिलक संपादक, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Tuesday, November 6, 2012

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद। युग दर्पण ब्लाग पर बने, हमारे ब्लाग को 49 देशों के 3640, तथा राष्ट्र दर्पण पर 33 देशों के 1693, आप लोगों ने 4 नव.11 प्रथम 1 1/2 वर्षों में 10 हज़ार बार खोला व हमें 10 हजारी बनाया था। अब 4 नव.12 तक केवल एक वर्ष में, 63 देशों के 6360, तथा 51 देशों के 4100+ आप लोगों ने हमें 50 हजारी कर दिया है। आप सभी केवल हार्दिक बधाई व धन्यवाद के पात्र नहीं, हमआपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
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Sunday, November 4, 2012

भारतीय शिक्षा प्रणाली का विनाश

भारत की वर्तमान दुर्दशा के कारण व निवारण / भा (1)
भारतीय शिक्षा प्रणाली का विनाश 
(विवेकानंद स्टडी सर्कल, आईआईटी मद्रास. के तत्वावधान में जनवरी 1998 में दिए गए एक भाषण से अनुकूलित)  कृ इसे पूरा पढ़ें, समझें व जुड़ें
परिचय भूमिका 
ईस्ट इंडिया कंपनी और ततपश्चात, ब्रिटिश शासन में, लगता है शासकों के मन में दो इरादे काम कर रहे थे इस देश के मूल निवासी के धन लूटना और सभ्यता को डसना हम देखें, इन को प्राप्त करने के लिए, ब्रिटिश ने इतनी चतुराई से चाल चली है, व पूरे राष्ट्र पर सबसे बड़ा एक सम्मोहन बुना, कि आजादी के पचास वर्ष बाद भी हम, अभी भी व्यामोह कीस्थिति से निकलने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं
संभवत: हम में से बहुत से भारतीयों को पता ही नहीं है, कि ब्रिटिश के यहाँ आने तक भारत विश्व का सबसे धनी देश था जबकि पहले विश्व निर्यात के रूप में भारत के 19% अंश के विरूद्ध ब्रिटेन का अंश केवल 9% था, आज हमारा अंश केवल 0.5% है उन्नीसवीं सदी तक कोई यात्री भारत के तट पर आया, उस समय भारत गरीब नहीं पाया गया है, लेकिन विदेशियों में अधिकांश शानदार धन की खोज में भारत आए "मदर इंडिया के बचाव में, एक विदेशी Phillimore का वक्तव्य", "18 वीं सदी के मध्य में, Phillimore ने किताब में लिखा है कि कोई यात्री विदेशी व्यापारियों और साहसी लगभग शानदार धन, चन्दन लकड़ी, जो वे वहाँ प्राप्त कर सकता है, के लिए उसके तट पर आया'मंदिर के पेड़ को हिलाना' एक मुहावरा था, कुछ हद तक हमारे आधुनिक अभिव्यक्ति 'तेल के लिए खोज' के समान हो गया है
भारत के गांव में 35 से 50% भूमि भाग, राजस्व से मुक्त थे और कहा कि राजस्व से स्कूलों, मंदिर त्योहारों का आयोजन, दवाओं के उत्पादन, तीर्थयात्रियों का खिलाना, सिंचाई में सुधार आदि चलता रहा है उन अंग्रेजों के लालच ने राजस्व मुक्त भूमि 5के नीचे किया गया था नीचे करने के कारण जब वहाँ एक विरोध रहता था, तब वे भारतीयों को आश्वासन दिया था कि सिंचाई की देखभाल के लिएसरकार ने सिंचाई विभाग बनाने,  एक शिक्षा बोर्ड को शिक्षा का ख्याल रखना होगा आदि। अत: लोगों की पहल व स्वावलम्बन को नष्ट कर दिया गया था लगता था, शासक उनको तंग करने के लिए मिला है उन्होंने पाया कि हालांकि अंग्रेजों ने इस देश पर विजय प्राप्त की थी, यह समाज अभी भी दृढ़ता से अपनी संस्कृति में निहित था वे जान गए कि जब तक यह समाज सतर्क है और यहां तक ​​कि अपनी परंपराओं का गर्व था, सदा उनके 'सफेद आदमी' बोझ 'के रूप में भारी और बोझिल' बना रहेगा उस समय भारत की शिक्षा प्रणाली एक व्यवस्था से बहुत अच्छी तरह से फैली थी, और अपने उद्देश्यों के लिए अप्रभावी बनाया जाना आवश्यक था अब, हम में से अधिकांश को समझाया/भरमाया गया है कि शिक्षा ब्राह्मणों के हाथों में और संस्कृत माध्यम में है, अत: अन्य जातियों को कोई शिक्षा नहीं देता था लेकिन कैसे ब्रिटिश ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया और एक सबसे साक्षर देश का नाम अनपढ़ देशों आया के बारे में तथ्य यहाँ आगे हैं। :- 
अपने भाषणों में महात्मा गांधी ने 1931 में गोलमेज सम्मेलन में कहा, "शिक्षा के सुंदर पेड़ को आप ब्रिटिश के द्वारा जड़ से काटा गया था और इसलिए भारत आज 100 वर्ष पहले की तुलना में कहीं अधिक अनपढ़ है" इसके तत्काल बाद, फिलिप हार्टोग, जो एक सांसद था, उठ खड़ा हुआ और कहा, "Mr. Gandhi, यह हम है, जो भारत की जनता को शिक्षित किया है। इसलिए आप अपने बयान वापस ले और क्षमा मांगे या यह साबित करें "गांधी जी ने कहा कि वह यह साबित कर सकता हूँ। लेकिन समय की कमी के कारण बहस को जारी नहीं किया गया था। बाद में उनके अनुयायियों में से एक श्री धर्मपाल ने, ब्रिटिश संग्रहालय में जाकर रिपोर्ट और अभिलेखागार की जांच की वह एक पुस्तक प्रकाशित करता है,"द ब्यूटीफुल ट्री" जहां इस मामले में बड़े विस्तार में चर्चा की गई है। ब्रिटिश ने 1820 तक, हमारी शिक्षा प्रणाली के समर्थक वित्तीय संसाधनों को पहले से ही नष्ट कर दिया था एक विनाश कार्य वे लगभग बीस वर्षों से चला रहे थे लेकिन फिर भी भारतीय मांग शिक्षा की अपनी प्रणाली के साथ जारी रखने में बनी रही।  तो, ब्रिटिश सरकार ने इस प्रणाली की जटिलताओं को खोजने का फैसला किया। इसलिए 1822 में एक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था और ब्रिटिश जिला कलेक्टरों द्वारा आयोजित किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि बंगाल प्रेसीडेंसी के मद्रास में 1 लाख गांव में स्कूल, बंबई में एक स्कूल के बिना एक भी गांव नहीं था, अगर गांव की आबादी 100 के पास रहे तो गांव में एक स्कूल था। इन स्कूलों में छात्रों तथा शिक्षक के रूप में सभी जातियों के थे। किसी भी जिले के शिक्षकों में ब्राह्मणों की संख्या 7% से 48% व शेष अन्य जातियों से थे। इसके अलावा सभी बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त होती थी
स्कूलों से बाहर आते समय तक छात्रों में वह प्रतिस्पर्धी क्षमता प्राप्त कर ली जाती थी और अपनी संस्कृति की उचित जानकारी होना और समझने में सक्षम रहता है। मद्रास में एक ईसाई मिशनरी के एक Mr.Bell, भारतीय शिक्षा प्रणाली वापस इंग्लैंड के लिए ले गए। तब तक, वहाँ केवल रईसों के बच्चों को शिक्षा दिया जाती थी और वहाँ इंग्लैंड में आम जनता के लिए शिक्षा शुरू की। ब्रिटिश प्रशासकों ने भारतीय शिक्षकों की क्षमता और समर्पण की प्रशंसा की हम समझ सकते है कि ब्रिटिश जनता को शिक्षित करने के लिए भारत से जनसामान्य शिक्षा प्रणाली को अपनाया गया वर्तमान प्राथमिक शिक्षा के समकक्ष 4 से 5 वर्ष तक चली हम सभी जानते हैं कि राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा ही महत्वपूर्ण है, न कि केवल कुछ को उच्च शिक्षा मिलती रहे। 
शेष है:- गिरावट का कारण: निम्नतर निस्पंदन विधि. तथा हताशा की जनक मैकाले की प्रणाली ।  
-राजीव दीक्षत-  http://www.youtube.com/watch?v=rcUaUfesoRE
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

Tuesday, October 16, 2012

नव रात्रि /शक्ति पूजन Nav Ratri (9 Divine Nights) worshiping Goddess of Power

नव रात्रि /शक्ति पूजन (9 Devine Nights),   
व्याख्यान -तिलक राज रेलन,  वरि. पत्रकार, लेखक, चिन्तक, संपादक -युग दर्पण मीडिया समूह, 
वास्तव में "नव -रात्रि" का तात्पर्य है " शिवशक्ति की विशेष नौ रातें" जब शक्ति को सहज जागृत किया जा सकता है यह त्यौहार एक वर्ष में 2 बार मनाया जाता है | एक "चैत्र माह" गर्मियों के आरंभ में, एक बार फिर से "आश्विन माह" सर्दियों के आरंभ में | चेती नवराते को पृथ्वी के आरंभ से तथा शारदीय नवराते को भगवान राम के रावण से युद्ध पूर्व व लंका प्रस्थान हेतु समुद्र पार जाने के समय, शक्ति पूजन इस दिन किया गया मानते हैं 
मेरी व्यक्तिगत सोच है कि पृथ्वी का आरंभ में गर्म होना व प्रकारांतर में शीतल होना, सृष्टि काल के कल्प का एक चक्र है | उसी का लघु रूप ग्रीष्म और शरद है, और दिन रात है जैसे वर्तमान प्रणाली में समय का घंटे, मिनट व सेकण्ड मानते हैं | पहले भारतीय सनातन प्रणाली में घटी और पल थे | (इस लेख के इस अंश पर विशेष टिप्पणी चाहूँगा |)
नवरात्रि का महत्व क्या है?
नवरात्रि के मध्य, सार्वभौमिक माँ, सामान्यतः "दुर्गा," जिसे वास्तव में जीवन के दुखों का हरण करने वाली, दुख हरणी के रूप में जाना जाता है, का इस रूप में भगवान की दिव्य शक्ति/ऊर्जा पक्ष का आह्वान किया जाता है | जिसे "देवी" (देवी) या "शक्ति" (ऊर्जा या शक्ति) के रूप में भी जाना जाता है | यह वह ऊर्जा है, जिसका उपयोग भगवान शिव द्वारा सृजन, संरक्षण और विनाश के लिए है  दूसरे शब्दों में, आप कह सकते हैं कि भगवान स्थिर, शांत रूप नितांत परिवर्तनहीन है और देवी माँ दुर्गा, उसका सक्रिय रूप में सब कुछ करती है | अर्थात एक इसका शांत रूप है दूसरा सक्रीय | इस शांत व सक्रीय के समन्वय व्यापक तत्व को ही अर्ध नारीश्वर कहा जाता है सच कहूँ तो, हमारी शक्ति पूजा का वैज्ञानिक सिद्धांत है कि ऊर्जा अविनाशी है, की फिर से पुष्टि होती है | यह सदा सर्वत्र है, इसे न बनाया जा सकता है, न मिटाया जा सकता है |
क्यों देवी माँ को दंडवत?
हमें लगता है कि यह शक्ति उस जगत जननी देवी माँ, जो सभी की माँ है, का ही एक रूप, और हम में से सभी बच्चे उसके बच्चे है | प्रश्न उठता हैं,"माँ क्यों, क्यों नहीं पिता"  मुझे बस इतना कहना है कि हमें विश्वास है कि भगवान की महिमा, उनकी लौकिक ऊर्जा, उसकी महानता और वर्चस्व तथा सबसे ऊपर, भगवान के मातृत्व पक्ष को इस रूप में दर्शाया जा सकता है | बस एक बच्चे के लिए इस रूप में या उसकी माँ में, इन सभी गुणों को पाना है  इसी प्रकार, हम सभी की माँ के रूप में दिखने वाला भगवान, ऐसा वास्तव में, हिंदू धर्म है और विश्व में यही धर्म है | जो भगवान के मातृ पक्ष को इतना महत्व देता है, क्योंकि हम मानते हैं कि यह माँ के रचनात्मक पक्ष है, पूर्ण है |
एक वर्ष में दो बार क्यों?
हर वर्ष गर्मियों के आरंभ और सर्दियों के आरंभ के जलवायु परिवर्तन और सौर प्रभाव के दो बहुत महत्वपूर्ण संधिकाल/ पड़ाव हैं. क्योंकि इन दो संधिकालों में परमात्मा की शक्ति की पूजा के लिए पवित्र अवसर के रूप में माना गया है:
(1) हम मानते हैं कि यह वह दिव्य शक्ति है, जो पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर भ्रमण करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है | यही प्रकृति में बाह्य परिवर्तन तथा संतुलन का कारण है अत: इस दिव्य शक्ति को ब्रह्मांड के सही संतुलन को बनाए रखने के लिए, धन्यवाद दिया जाना चाहिए | इस अध्यात्मिक सोच के रहते हम प्रकृति का हर रूप में नमन करते रहे, पाश्चत्य अन्धानुकरण में इसका त्याग होते ही, यहाँ भी प्रकृति का शोषण होने लगा |


अखिल ब्रह्माण्ड के कल्याण व मानव मात्र के सदमार्ग हेतु,, दिव्या शक्ति के सुपुत्रों सम्पूर्ण हिन्दू समाज की सद्चेतना जागृत हो, 
इसके लिए भगवती अपने इन पुत्रों को सद्बुद्धि प्रदान करे, नव रात्र की इन शुभ कामनाओं सहित, तिलक व सम्पूर्ण युग दर्पण परिवार.

(2) प्रकृति में परिवर्तन के कारण हम लोगों के शरीर व मन में व्यापक परिवर्तन होते है, और इसलिए, हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए, हम सभी परमात्मा से पर्याप्त शक्तियां प्रदान करने के निवेदन हेतु शक्ति की पूजा करते हैं |
9 रात और दिन ही क्यों ?
नवरात्रि को यदि 3 दिन के 3 भाग में विभाजित करें, तो यह सर्वोच्च देवी के 3 विभिन्न पक्षों के प्रति समर्पित है | प्रथम 3 दिनों में, माँ के शक्तिरूप में, दुर्गा का आह्वान, क्रम में हमारे सब अशुद्धता, न्यूनता व दोषों के निवारण हेतु किया जाता है  अगले 3 दिनों, माँ के आध्यात्मिक शक्तियों की प्रदाता, धनलक्ष्मी व कन्या रूपा का आह्वान, तथा वंदन, किया जाता है जिसकी असीम अनुकम्पा से हमें सुख -शांति व अपार धन -धान्य निर्बाध प्राप्त होता रहता है  अंतिम 3 दिनों के अंतिम भाग में विवेक व ज्ञान की देवी सरस्वती के रूप में मां की पूजा की जाती है |  इस क्रम में यह जीवन में चतुर्दिक सफलता की दात्री है  हमें देवी माँ के सभी 3 पक्षों के आशीर्वाद की आवश्यकता है, इसलिए 9 रातों के लिए पूजा. का विधान है 
शक्ति की आवश्यकता क्यों है ?
इस प्रकार, मेरा सुझाव है कि आप नवरात्रि के मध्य "माँ दुर्गा की पूजा" में अपने माता पिता के साथ सहभागी हो सकते हैं  वह आप पर धन, शुभ (मंगलकारी), समृद्धि, ज्ञान, और अन्य दिव्या शक्तियों को प्रदान करेगी, जिससे आप जीवन की हर बाधा को पार कर जायेंगे  याद रखें, इस विश्व में सभी शक्ति अर्थात दुर्गा, की पूजा करते हैं, क्योंकि यहाँ ऐसा कोई नहीं है जो किसी न किसी रूप में शक्ति की कामना कभी भी नहीं करता है |  (ध्यान रहे, आपका सच्चा मित्र कभी, आपको गलत राह दिखने वाला, या अल्प ज्ञान से भटकाने वाला, नहीं, हो सकता, -तिलक, 9911111611)
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक