मीडिया व्यवसाय नहीं, समाज की आँख बन के रहे। -तिलक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
Sunday, June 14, 2020
मीडिया व्यवसाय नहीं, समाज की आँख बन के रहे। -तिलक
राष्ट्र हित सर्वोपरि। एक ही मंत्र - भारत देश की जड़ों से जुड़ें। नकारात्मक बिकाऊ भ्रामक मीडिया के राष्ट्रहित सकारात्मक सार्थक विकल्प हेतु -
मीडिया व्यवसाय नहीं, समाज की आँख बन के रहे। -तिलक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
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Monday, January 20, 2020
YDMS👑प्रस्तुति... DD-Live YDMS दूरदर्पण, CD-Live YDMS चुनावदर्पण देश को समर्पित, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल.
👑आज अपने जन्म दिवस के अवसर पर, देश को समर्पित हैं, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल
सकारात्मक सार्थक श्रेष्ठ चयनित समाचार का प्रतीक YDMS👑प्रस्तुति
DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं
देश की राजनीति पर युगदर्पण मीडिया समूह का नया यू-टयूब चैनल CD-Live YDMS चुनावदर्पण
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Monday, October 17, 2016
आदित्यनाथ: योगी हूँ और योगी ही रहूँगा।
आदित्यनाथ: योगी हूँ और योगी ही रहूँगा।
पूर्वांचल में भाजपा के सबसे प्रमुख चेहरा योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा कि वो उप्र में मुमं की दौड़ में नहीं हैं। वो योगी हैं और योगी ही रहेंगे।
पार्टी का एक बड़ा गुट विशेषकर हिंदूवादी चाहते है कि योगी के चेहरे को आगे कर चुनाव हों। कानपुर में हुई संघ की बैठक के बाद कई संगठनों ने मोहन भागवत से भेंट कर योगी आदित्यनाथ को मुमं प्रत्याशी घोषित करने की मांग भी की थी। किन्तु आज योगी ने इस पर ये कहकर विराम लगा दिया कि किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है। मैं किसी दौड़ में नहीं हूं।
संसदीय बोर्ड निर्धारित करे
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा का उप्र चुनावों में चेहरा कौन होगा। ये संसदीय बोर्ड निर्धारित करेगा। मैं कोई चेहरा नहीं हूं। पार्टी का कार्यकर्ता हूं। सांसद हूं और एक सांसद के रूप में पार्टी जहां चाहेगी। मैं वहां प्रचार करूंगा। किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा का उप्र चुनावों में चेहरा कौन होगा। ये संसदीय बोर्ड निर्धारित करेगा। मैं कोई चेहरा नहीं हूं। पार्टी का कार्यकर्ता हूं। सांसद हूं और एक सांसद के रूप में पार्टी जहां चाहेगी। मैं वहां प्रचार करूंगा। किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है।
बस एक है चेहरा....
भाजपा में एक चेहरा मोदी जी का है। जो सर्वमान्य है उन्होंने देश विश्व में ये प्रमाणित किया है। भाजपा संसदीय बोर्ड ये निर्धारित करने में सक्षम है कि किसका चेहरा आगे करें या नहीं।
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे,भाजपा में एक चेहरा मोदी जी का है। जो सर्वमान्य है उन्होंने देश विश्व में ये प्रमाणित किया है। भाजपा संसदीय बोर्ड ये निर्धारित करने में सक्षम है कि किसका चेहरा आगे करें या नहीं।
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प,
प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
Tuesday, October 11, 2016
रास्वसं का स्थापना दिवस 91 वर्ष पूर्ण
रास्वसं का स्थापना दिवस 91 वर्ष पूर्ण
संघ के स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- गिलगित, बाल्टिस्तान समेत पूरा कश्मीर भारत का; और सेना व मोदी को सराहा
नागपुर से रास्वसं प्रमुख मोहन भागवत ने पाकिस्तान के अधिग्रहित कश्मीर में आतंकी केंद्रों को नष्ट करने वाले लक्षित प्रहारों के लिए मंगलवार को भारतीय सेना की प्रशंसा की और कहा कि इससे विश्व में देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है तथा अशांति फैलाने वालों को संदेश गया है कि सहन करने की एक सीमा होती है। रास्वसं प्रमुख का वार्षिक दशहरा संबोधन कश्मीर में जारी अशांति, सीमा पर तनाव और गौ-संरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहा। भागवत ने इसके साथ ही सामाजिक भेदभाव के उन्मूलन का भी संकल्प लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रास्वसं) के स्थापना दिवस के अवसर पर मंगलवार को नागपुर में मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। विजयदशमी रैली में भागवत ने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। इस वर्ष दशहरा कुछ विशेष है। जीवन में जो सीखा उस पर गर्व करें। आज रास्वसं का स्थापना दिवस पर संघ के 91 वर्ष पूरे हो गए।
भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में अभी का शासन काम करने वाला है, उदासीन नहीं। देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। कश्मीर पर संसद का संकल्प सबसे श्रेष्ठ है। अपने संबोधन में भागवत ने कश्मीर मुद्दे से लेकर देश के भीतर गोरक्षा पर चल रहे विवाद को भी शामिल किया। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार और भारतीय सेना की भी सराहना की।
रास्वसं प्रमुख ने जम्मू कश्मीर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं की यह प्रतिबद्धता अच्छी है कि पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर सहित समूचा राज्य भारत का है। मुजफ्फराबाद, गिलगित, बाल्टिस्तान समेत पूरा कश्मीर भारत का है। पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर हमारा है। कार्रवाई में भी इन शब्दों जैसी शक्ति होनी चाहिए। हम अपनी सेना की ओर से दिखाए गए शौर्य से प्रसन्न हैं। कश्मीर में हंगामा करने वालों का प्रभाव बहुत कम है। उपद्रवियों से कठोरता से निपटना होगा। हुड़दंगियों को सीमा पार से सहायता मिलती है। सीमा पार से उपद्रवियों को उकसाया जाता है। सेना ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। भागवत ने लक्षित प्रहार पर प्र मं मोदी की प्रशंसा की और कहा कि यशस्वी नेतृत्व ने एक सराहनीय कार्य किया और पाकिस्तान को विश्व में अलग-थलग किया है। सेना ने भी साहस का काम किया है। किन्तु हमारी सीमाओं की सुरक्षा भली भाँति होनी चाहिए।
विश्वगुरु रहा वो भारत,
इंडिया के पीछे कहीं खो गया |इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
http://raashtradarpan.blogspot.in/2016/10/91.html
Saturday, October 8, 2016
लेख-- अजय देवगन और पाकिस्तानी कलाकार टकराये
लेख-- अजय देवगन और पाकिस्तानी कलाकार टकराये
वरिष्ठ लेखक पत्रकार, तिलक राज रेलन आज़ाद की कलम से
वरिष्ठ लेखक पत्रकार, तिलक राज रेलन आज़ाद की कलम से
पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर प्रतिबंध के पक्ष में फिल्मी मुंबई से जुड़ा एक और अग्रणी व्यक्तित्व है। वर्तमान स्थिति में अभिनेता अजय देवगन ने पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने से मना कर दिया है। इस माह के अंत में 47 वर्षीय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’ और करण जौहर की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ साथ-साथ प्रदर्शित होंगी। करण की फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान की विशेष भूमिका है। देवगन को पाकिस्तान में अपनी फिल्म प्रदर्शन के बारे में चिंता नहीं है। वे मानते हैं ‘‘यह समय देश के साथ खड़े होने का है।’’ अजय इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट कहते हैं क्योंकि आप सबसे पहले भारतीय हैं। उनके कलाकार अपने देश के साथ खड़े हैं। वह यहां कमाते हैं किन्तु अपने देश का साथ देते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए।’’ अजय के साक्षात्कार के कुछ ही मिनट बाद उनकी पत्नी, अभिनेत्री काजोल ने ट्वीट कर अपने पति की प्रशंसा की। उन्होंने लिखा ‘‘गैर राजनीतिक और सही निर्णय लेने के लिए अपने पति पर मुझे अति गर्व है।’’ उरी प्रहार के दृष्टिगत भारत में कुछ वर्ग पाकिस्तान के कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।
करण जौहर की आने वाली फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ में कार्यरत भारत में लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों में से एक फवाद हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने फवाद और अन्य पाकिस्तानी कलाकारों माहिरा खान, अली जाफर और आतिफ असलम आदि पर लक्ष्य साधते हुए उन्हें 48 घंटे के अंदर देश छोड़ देने का समय देते हुए कहा था कि न जाने पर उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा। पार्टी ने ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ और माहिरा अभिनीत ‘‘रईस’’ का प्रदर्शन रोकने की धमकी भी दी थी। इसके बाद ‘‘इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन’’ (आईएमपीपीए) ने भारत पाक संबंधों के सामान्य होने तक सीमा पार के कलाकारों पर भारतीय फिल्मों में काम करने पर रोक लगाने संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया। फवाद की टिप्पणी से एक दिन पूर्व ही शफकत अमानत अली ने उरी कांड की निंदा की थी। इस मुद्दे पर बॉलीवुड में भिन्न भिन्न राय है। सलमान खान, करण जौहर, हंसल मेहता और अनुराग कश्यप ने जहां पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने जाने के विचार की आलोचना की है वहीं रणदीप हूडा, सोनाली बेन्द्रे और नाना पाटेकर ने इस विचार का समर्थन किया है।
ध्यान दें - 1) जब भी देश में हिन्दू मुस्लिम मामला बनता है तब कहा जाता है हम सब भारतवासी हैं। किन्तु अब कहो वो पाकिस्तानी हैं तब भारत के मुस्लिम अपने भारतीय होने के नाते उस बहिष्कार में भारत का साथ देने से कतराते क्यों हैं।
यहाँ 1965 का एक अनुकरणीय उदाहरण हैं पाकिस्तानी पैटन टैंक के सामने लेटने वाले सितम्बर १०, १९६५ के शहीद हवलदार (कै) अब्दुल हमीद का। मैं कई बार यह उदाहरण देता हूँ। अजेय माने जा रहे पैटन टैंक ने पाकिस्तान के अभिमान को दर्शाता याह्या खान का वाक्य, हमारी बहादुर फोजें रावलपिंडी से नाश्ता कर के चलेंगी (बिना रूकावट) दिल्ली में जा कर लंच दिल्ली में लेंगे। सितम्बर १०, १९६५ के दिन मदमस्त हाथी से बढ़ते पैटन टैंक के झुण्ड को देख कर वह वीर अब्दुल हमीद छाती से बम्ब (ग्रेनेड) बांधकर पैटन टैंक जिसकी अभेद्य मोटी पर्त को नहीं तो चेन तोड़ना ही सही, सोच उसके नीचे घुस गया। उस वीर ने यह नहीं सोचा मैं भी मुस्लमान वो भी मुस्लमान अपितु मैं भारत का सिपाही हूँ टैंक मेरे शत्रु देश का है। परमवीर चक्र से विभूषित कर उस शहीद को सम्मान से कैप्टन का मान दिया गया।
कै अब्दुल हमीद शहीद हो गए किन्तु टैंक आगे नहीं बढ़ सका। इसे देख अन्य अनुकरण कर कई वीर शहीद होकर टैंक के झुण्ड को वहीँ रोकने में सफल रहे। याह्या खान की तथाकथित बहादुर फोजें दिल्ली पहुँचने में असमर्थ रहीं।
सं 1947 तथा विशेषकर 1965 के पश्चात् भारत के मुसलमानों तथा लेखक पत्रकारों का आदर्श स्वतंत्रता पूर्व के मौ अबुल कलाम आज़ाद, क्यों नहीं ? किन्तु देश में व्यवस्था ने वोट बैंक का संरक्षण किया, देश भक्तों का सम्मान नहीं। देश की चिंता 1947 से नहीं, वर्ग या जाति विशेष की बात की जाती रही। आज ज़ाकिर नाईक हमारे नायक क्यों बनते जारहे हैं, वीर अब्दुल हमीद क्यों नहीं ? हमारी सोच भारतीय के नाते नहीं रही। इस पर चिंतन मनन की आवश्यकता है।
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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ज़ाकिर नाईक,
वीर अब्दुल हमीद
Friday, July 15, 2016
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता भले ही आज समय की मांग है, एक सूत्र में पिरोने की।
किन्तु इसमें समस्या यह है कि विगत में स्वतंत्रता के आरम्भ से ही समाज को
एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करने के स्थान पर बहुलता वादी समाज के नाम पर
संविधान को खिलोने की भाँति प्रस्तुत कर खिलवाड़ करने का चलन चला गया।
इसी कारण भारत जैसे बहुलता वादी देश में समान नागरिक संहिता लागू करना
सरल भी नहीं है।
कई नस्लीय जनजातियां, विभिन्न संप्रदाय, जातियां और समुदाय हैं। हिंदुओं के
अंदर भी कई भांति भांति की स्थानीय प्रकार की पारिस्थितिक प्रथाएं चालू हैं। इन
सब के बाद भी संविधान निर्माताओं ने हिंदुओं पर समान कानून बनाए। विभिन्न
प्रथाओं के बाद भी मूल रूप से पूरा समाज ऐसे जुड़ा है जैसे शरीर के भिन्न भिन्न
अंग प्रत्यंग एक ही शरीर के विभिन्न भाग हैं।
समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव पर जन सुनवाई और सर्वदलीय बैठक में
राजनैतिक दलों का समर्थन ही आगे जाकर आम सहमति दिला सकेगा। इस मुद्दे पर
आगे का एकमात्र मार्ग सर्वसम्मति से ही स्थापित होना है। समझदारी है कि पहले
विधि आयोग इस पर भी ध्यान कर जन सुनवाई में सभी समूहों से चर्चा करे ताकि
विधि आयोग को साझा प्रस्ताव के साथ सामने आने को मिले।
यह पग इस दृष्टी से महत्त्व का है कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि वह
मौखिक तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता पर किसी निर्णय से पूर्व व्यापक चर्चा
पसंद करेगा। कई लोगों का मानना है कि मुसलमान अपनी पत्नियों को मनमाने
ढंग से तलाक देने के लिए तिहरे तलाक का दुरूपयोग करते हैं। तब इन चीजों
में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी जानी चाहिए।
बात केवल तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता की ही नहीं है जैसे अपितु विविधता
भरे हिन्दू समाज होने पर भी कानून को हिंदुओं पर समान रूप से लागु किया गया,
इस पर भी वह विविधता समाप्त नहीं हो गई, अनेकता में एकता का गौरवपूर्ण पक्ष
हमारे लिए सदा के लिए प्रत्यक्ष उदहारण बनकर खड़ा है।
समान नागरिक संहिता का यही नियम मुस्लिम तथा अन्यों को भी उसी प्रकार एक
सूत्र में पूरे समाज को जोड़ कर रख सकता था। किन्तु विविधता बनाए रखने के नाम
पर जिस प्रकार हिन्दू कानून मुस्लिम कानून बनाए गए.उसने एकता के बदले अलगाव
का भाव ही बनाया और राजनैतिक तुष्टिकरण का मार्ग खोलकर सामाजिक विखंडन
का मार्ग प्रशस्त किया। आज यह समस्या जटिल रोग होकर असाध्य लगता है।
समय पर उपचार किया जाता तो उचित था किन्तु विलम्ब से सही, शुभस्य् शीघ्रम।
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
समान नागरिक संहिता भले ही आज समय की मांग है, एक सूत्र में पिरोने की।
किन्तु इसमें समस्या यह है कि विगत में स्वतंत्रता के आरम्भ से ही समाज को
एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करने के स्थान पर बहुलता वादी समाज के नाम पर
संविधान को खिलोने की भाँति प्रस्तुत कर खिलवाड़ करने का चलन चला गया।
इसी कारण भारत जैसे बहुलता वादी देश में समान नागरिक संहिता लागू करना
सरल भी नहीं है।
कई नस्लीय जनजातियां, विभिन्न संप्रदाय, जातियां और समुदाय हैं। हिंदुओं के
अंदर भी कई भांति भांति की स्थानीय प्रकार की पारिस्थितिक प्रथाएं चालू हैं। इन
सब के बाद भी संविधान निर्माताओं ने हिंदुओं पर समान कानून बनाए। विभिन्न
प्रथाओं के बाद भी मूल रूप से पूरा समाज ऐसे जुड़ा है जैसे शरीर के भिन्न भिन्न
अंग प्रत्यंग एक ही शरीर के विभिन्न भाग हैं।
समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव पर जन सुनवाई और सर्वदलीय बैठक में
राजनैतिक दलों का समर्थन ही आगे जाकर आम सहमति दिला सकेगा। इस मुद्दे पर
आगे का एकमात्र मार्ग सर्वसम्मति से ही स्थापित होना है। समझदारी है कि पहले
विधि आयोग इस पर भी ध्यान कर जन सुनवाई में सभी समूहों से चर्चा करे ताकि
विधि आयोग को साझा प्रस्ताव के साथ सामने आने को मिले।
यह पग इस दृष्टी से महत्त्व का है कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि वह
मौखिक तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता पर किसी निर्णय से पूर्व व्यापक चर्चा
पसंद करेगा। कई लोगों का मानना है कि मुसलमान अपनी पत्नियों को मनमाने
ढंग से तलाक देने के लिए तिहरे तलाक का दुरूपयोग करते हैं। तब इन चीजों
में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी जानी चाहिए।
बात केवल तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता की ही नहीं है जैसे अपितु विविधता
भरे हिन्दू समाज होने पर भी कानून को हिंदुओं पर समान रूप से लागु किया गया,
इस पर भी वह विविधता समाप्त नहीं हो गई, अनेकता में एकता का गौरवपूर्ण पक्ष
हमारे लिए सदा के लिए प्रत्यक्ष उदहारण बनकर खड़ा है।
समान नागरिक संहिता का यही नियम मुस्लिम तथा अन्यों को भी उसी प्रकार एक
सूत्र में पूरे समाज को जोड़ कर रख सकता था। किन्तु विविधता बनाए रखने के नाम
पर जिस प्रकार हिन्दू कानून मुस्लिम कानून बनाए गए.उसने एकता के बदले अलगाव
का भाव ही बनाया और राजनैतिक तुष्टिकरण का मार्ग खोलकर सामाजिक विखंडन
का मार्ग प्रशस्त किया। आज यह समस्या जटिल रोग होकर असाध्य लगता है।
समय पर उपचार किया जाता तो उचित था किन्तु विलम्ब से सही, शुभस्य् शीघ्रम।
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
Monday, July 11, 2016
भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी !
भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी !
नदि तिलक। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई ने अपने दीक्षांत समारोह की पोशाक के लिए खादी का चयन किया है। गुजरात विश्वविद्यालय के बाद अब खादी ने प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई के अधिकारियों के दिल में स्थान बनाया है। खादी अपनाने के बारे में आग्रह और लोकप्रियता से आकर्षित होकर संस्थान ने दीक्षांत समारोह के समय छात्रों द्वारा पहने जाने के लिए 3,500 खादी के अंगवस्त्रम बनाने को कहा गया है। यह एक महत्वपूर्ण पग है और यह दर्शाता है कि खादी का स्थान जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ रहा है। भाप्रौसं मुंबई के निदेशक प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि खादी हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है और छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना भरने के लिए हमने खादी को अपनाया है।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक
http://shikshaadarpan.blogspot.in/2016/07/blog-post_11.html
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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