कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये।
अपनी धर्म संस्कृति को जीवन शैली का आधार बनायें, भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनायें। - तिलक
मंदिर में महिला प्रवेश का हंगामा तथा सत्य -
मंदिर में महिला प्रवेश के मामले पर जिस प्रकार एक भ्रामक प्रस्तुति की गई, लैंगिक भेदभाव का रूप देकर हंगामा कर धर्म समाज पर आरोप मढ़ते संघर्ष पूर्वक घुसने का नाटक तथा न्यायिक प्रक्रिया का पटाक्षेप हो गया है। मा. न्यायमूर्ति ने कहा लैंगिक भेदभाव का हिन्दू धर्म में कभी कहीं स्थान नहीं रहा।
सभी जानते हैं हमारे समाज में महिलाऐं धार्मिक कार्यों में सदा अग्रणी रही हैं। इतना ही नहीं देवी का स्थान तो हिन्दू समाज ने दिया, फिर मंदिर में महिला प्रवेश के विषय के भ्रम को समझें।
किन्ही विशेष स्थितियों में (मासिक स्त्राव में) मंदिर में महिला प्रवेश पर सामयिक रोक संभव है। वह भी स्व बाध्य पवित्रता हेतु। दूसरे शिवलिंग के रेडियोधर्मिता तरंगो से बचाव के लिए। यदि हिंदुत्व के शत्रु, हंगामा करने हेतु इसे लैंगिक भेदभाव का रूप देकर समाज में अशांति फैलाना चाहते हैं, तो हिन्दुओ उठो, जागो सत्य को जानो, धर्म विरोधी अधर्मियों को उनके कुचक्रों सहित पहचानो।
शिवलिंग, वर्षप्रतिपदा तथा अन्य सभी भारतीय मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार जानिए। रेडियोधर्मिता का किसी शिवलिंग, ज्योतिर्लिंग से सम्बन्ध जानिए। नालंदा तक्षशिला की शिक्षा जानिए।
तब समझमें आएगा, भारत वास्तव में विश्व गुरु था, हिंदू व उसमे विश्व गुरु के, वे तत्व विध्यमान होने से, क्यों बौखलाते हैं भारत के शत्रु ? तथा भारत में नई सत्ता से भारत के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया, क्यों उन्हें विक्षिप्त बना रही है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा तो कि शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधी, रेडियोधर्मिता का प्राकृतिक केंद्र व प्रतीक माना जाता है। इतना ही नहीं, सक्रिय रेडियोधर्मिता सभी ज्योतिर्लिंग की विशेषता है। अर्थात सम्पूर्ण वैज्ञानिक शक्तिपुंज की आराधना। यह प्रमाण है, युगों पूर्व भारत के वैज्ञानिक चरम का।
किन्तु शर्मनिरपेक्ष दलों व उनके दल्लों, शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया ने उसके प्रति नकारात्मक भाव भरना ही है।
उसी नकारात्मक शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया का सकारात्मक विकल्प, विविध विषयों के 30 ब्लॉग YDMS
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पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया;
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है।
रंगीन मीडिया की चमक के पीछे, कालिख जब दिखती न थी;
तब नकारात्मक का सकारात्मक विकल्प लिए युगदर्पण आया;
15 वर्ष में वो अंतर, जब देश भर की, प्रत्यक्ष समझ में है आया:
दूसरे चरण में नकारात्मक हटाओ, सकारात्मक अपनाओ। यु.द. - तिलक