वन्देमातरम, हर भारतीय अवश्य पढ़े,
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उनकी घर वापसी, इनकी पीड़ा;
जब वो घर छोड़ गए, ये चुप रहे ?
उनकी घर वापसी का, हंगामा कर डाला ?
अपने होते तो अपनाते; गैर हैं जो छुटकारा पाते।
कौन मित्र -कौन शत्रु, अँधेरा दूर कर डाला।
तुम संरक्षक थे, मुसलमानों के नहीं, आतंकियों के;
मूसल इमान वाले; इनके समीप हो गए।
हिन्दुओं को सांप्रदायिक कहकर, आतंकियों का समर्थन किया;
तुम तो वोट बैंक मानते रहे, किन्तु इन्होने गले लगा लिया।
तुम्हारा खेल सारा, हम अब समझ गए;
तुम्हे कष्ट है कि हम, घर वापिस क्यों आ गए ?
-तिलक YDMS 7531949051.
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !
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স্বদেশ প্রত্যাবর্তন, ફર્યાનો, ಮರಳುತ್ತಿರುವ, தாயகம் திரும்பும், హోమ్కమింగ్, ഘര് വപ്സി, ਪਲੀਤੀ, گھر واپسیविश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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