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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Sunday, November 25, 2012

नानक देव के प्रकाश दिवस पर बधाई व ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं।

अखिल विश्व में फैले सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आप सभी को सपरिवार, युगदर्पण परिवार की ओर से प्रकाश दिवस की बधाई व ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं।
नानक देव के प्रकाश दिवस पर आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
यह प्रकाश दिवस भारतीय जीवन से आतंकवाद, अवसरवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि की अमावस में, सत्य का दीपक जला कर धर्म व सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव, पुन:प्राप्त हो !
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com

प्रारंभिक जीवन
गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1,469 लाहौर के निकट राय भोई की तलवंडी (अब पाकिस्तान में, ननकाना साहिब कहा जाता है,) में हुआ था। [2] यह अब गुरु नानक देव के प्रकाश दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज [3],  उनका जन्मस्थान गुरुद्वारा जनमस्थान नाम से चिह्नित है। उनके पिता, कल्याण चंद दास बेदी लोकप्रिय नाम, कालू मेहता [4], तलवंडी के गांव राय बुलार भट्टी [5] में, उस क्षेत्र के एक मुस्लिम मकान मालिक के द्वारा फसल राजस्व के लिए एक पटवारी (एकाउंटेंट) नियोजित किया गया था। नानक की माता का नाम तृप्ता था। उनकी एक बड़ी बहन, बीबी नानकी, जो एक आध्यात्मिक व्यक्ति बन कर उभरी । 
गुरुद्वारा ननकाना साहिब

नानकी से जय राम, लाहौर के अंतिम गवर्नर दौलत खान लोदी, के स्टुअर्ड (मोदी) ने शादी कर ली और सुल्तानपुर, अपने शहर के लिए चला गया। नानक बड़ी बहन के साथ संलग्न और उसके पति के साथ रहने के लिए सुल्तानपुर आ गया। नानक को दौलत खान के साथ भी काम मिल गया, जब वह लगभग 16 वर्ष का था। यह नानक के जीवन का एक प्रारंभिक समय था। पुरातन मान्यता प्राप्त (जीवन खाते) जनम सखी के अनुसार और अपने भजन में मान्य कई संकेतों में, नानक ने सबसे अधिक संभावना इस समय में प्राप्त की। [6]
उनके जीवन पर टीकाओं के विवरण के अनुसार, एक युवा उम्र से की जागरूकता को, खिलते देखा गया । पांच वर्ष की उम्र में, नानक ने आध्यात्म के विषयों में रूची दर्शा है।  सात वर्ष की उम्र में पिता, कालू मेहता ने, प्रथा के अनुसार उसे अपने गांव के स्कूल में दाखिल कराया था। [7] उल्लेखनीय है कि गुरु नानक को वर्णमाला के पहले अक्षर में निहित प्रतीकों का वर्णन करके अपने शिक्षक को चकित करने वाले एक बच्चे के रूप में याद करते है। फारसी या अरबी विद्या में एक लगभग सीधे (स्ट्रोक) रेखा, जो 'एक' की गणितीय संस्करण जैसी या ईश्वर की एकता के रूप में बताया है।[8] नानक के बचपन के बारे में 'राय बुलार' के द्वारा उद्धत विवरण देखें। जहाँ सो रहे बच्चे के सिर पर कठोर धूप से ढाल के रूप में एक जहरीला कोबरा देखा गया व इस तरह के अजीब और अन्य चमत्कारी घटनाओं को देखा जाता रहा है।
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक

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