music

समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

what's App no 9971065525


DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची

https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Saturday, September 29, 2012

अन्ना और रामदेव में अंतर


अन्ना और रामदेव में अंतर
मेरे एक मित्र ने अन्ना और रामदेव के आन्दोलन को एकसा बताते कहा, अन्ना का खेल ख़त्म पहले ही हो चुका था| आज रामदेव का खेल भी ख़त्म हो गया| देश वैसे ही चलता रहेगा, जैसे चलता आ रहा है| हंस दाने चुगते रहेंगे और कौवे मोती खाते रहेंगे| अन्ना कहते थे कि "जब तक प्राण हैं लडूंगा", क्या हुआ? बाबा रामदेव को भी, जब सरकार ने कोई अहमियत नहीं दी तो, उन्होंने ने भी ड्रामा ख़त्म करने में ही अपनी भलाई समझी|

जैसा की मैं पहले भी कहता रहा हूँ अन्ना और रामदेव में अंतर है| ऐसा भी कह सकते हैं, अंतर है उनके आन्दोलन में| एक किरण बेदी को छोड़, पाखंडियों का गिरोह था| मुद्दा भी लोकपाल बिल का पाखंड था, खंड खंड हो गया| दूसरा रामदेव और मुद्दा ठीक थे| लूट का पैसा देश का है, देश में वापस आना चाहिए| इसीने शासकों के पसीने निकाले, तो रामदेव पर दुधारी चलाई गई| एक सामानांतर अन्ना को उठाया, फिर राम लीला मैदान में रावण लीला रची गई|! आज तक शत्रु सेना भी रात को वार नहीं करती, सोते हुए नृशंसता की सीमा पर की गई| जिस अन्ना को झाड़ पर चडाया था, मिशन रावण लीला के बाद उसे भी झाड़ से गिरा दिया गया| मीडिया ने अन्ना के आन्दोलन को उठाया था, रामदेव के आन्दोलन को दबाने में सरकार को सहयोग किया था ! यह है कथित आज़ादी के आजाद मीडिया का सत्य | तिलक , 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया !
इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है,
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक 9911111611. www.yugdarpan.com

Tuesday, September 18, 2012

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश:

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश: ज्ञान और समृद्धि के दाता, भगवान गणेश के जन्म दिन पर, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है l गणेश चतुर्थी के उत्सव के पाँच, सात या दस दिनों तक होते है l कुछ लोग बीस दिनों तक भी मानते है, किन्तु सबसे लोकप्रिय पर्व दस दिन मनाया जाता है l दाहिने हाथ पथ की परंपरा में पहला दिन सबसे महत्वपूर्ण है l बाएं हाथ पथ परंपरा में अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण है l 
   गणेश बुद्धि और समृद्धि के देवता है और इस नाते हिंदुओं द्वारा किसी भी शुभ काम का शुभारम्भ श्री गणेश जी की साक्षी में किया है l यह माना जाता है कि आकाँक्षाओं की पूर्ति के लिए उनके आशीर्वाद नितांत आवश्यक है l पौराणिक कथाओं के अनुसार, वह शिव और पार्वती के पुत्र, उनके भाई बहन है, कार्तिकेय - देवताओं के मुखिया, लक्ष्मी धन की देवी और सरस्वती विद्या की देवी l जिसका वाहन मूषक या चूहा और जिसे मोदक (छोटी बूंद के लड्डू) प्रिय है l हिंदू पौराणिक कथाओं में कई कहानियाँ, हाथी की सूंड में इस भगवान के जन्म के साथ जुड़ हैं l
   किंवदंती है कि पार्वती स्नान के लिए जाती, बाहर चंदन की लोई का पुतला बना, उसमे प्राण संचार करा, बैठा देती l एक दिन जब उसके पति, शिवजी लौटे, एक अपरिचित बालक ने उन्हें रोक दिया l शिवजी ने बच्चे का सिर काटा और घर में प्रवेश किया l पार्वती, यह जानकर कि उसका बेटा मर गया, व्याकुल हो गई और शिवजी से उसे पुनर्जीवित करने के लिए कहा l शिवजीने एक हाथी का सिर काटा और यह गणेश के शरीर पर लगा दिया l
   गणपति गणेश की विशेषताएं:- एक और किंवदंती है कि कैसे एक दिन देवताओं ने अपने नेता को चुनने का निर्णय किया और एक दौड़ भाई कार्तिकेय और गणेश के बीच आयोजित की गई l जो कोई भी पृथ्वी के 3 परिक्रमा पहले ले लिया, गणाधिपति या नेता माना जाएगा l कार्तिकेय अपने वाहन के रूप में एक मोर पर बैठा, गणेशजी के पास एक फुदकता चूहा है l गणेश जी को आभास हुआ कि परीक्षण सरल नहीं था, किन्तु वह अपने पिता की अवज्ञा नहीं करे l यह सोच अपने माता पिता के प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखते हुए और उनके चारों ओर 3 बार प्रदक्षिणा लगाई l  इस तरह कार्तिकेय से पहले परीक्षण पूरा हो गया है l उन्होंने कहा, "मेरे माता पिता, पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है और उनकी प्रदक्षिणा, पृथ्वी की प्रदक्षिणा से अधिक है l" हर किसी को गणेश के तर्क और बुद्धि चातुर्य से सुखद आश्चर्य था और इसलिए उन्हें गणेश, गणाधिपति या नेता, अब गणपति के रूप में जाना जाता है l
गणेश चतुर्थी समारोह
   गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश और भारत के कई अन्य भागों में मनाया जाता है l छत्रपति शिवाजी महाराज, महान मराठा शासक, द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था l पश्चिमी शासन के विरुद्ध लोगों को प्रेरित करने, राजनीतिक नेता जो भाषण दिया करते थे, ब्रिटिश ने सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था l इस की पृष्ठभूमि में लोकमान्य तिलक (स्वतंत्रता सेनानी) ने स्वतंत्रता संग्राम के संदेश का प्रसार के लिए, त्योहार को एक सार्वजानिक रूप देकर, भारतीय एकता का अनुभव कर दिया और उनकी देशभक्ति की भावना और विश्वास को पुनर्जीवित किया l यह सार्वजनिक त्योहार इतना लोकप्रिय है कि तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती हैं l
   घरों और सड़क के किनारों में, और गणेश प्रतिमा स्थापित में, व्यापक प्रकाश व्यवस्था, सजावट, दर्पण और फूलों की व्यवस्था कर रहे हैं l पूजा, प्रार्थना (सेवाएं) दैनिक प्रदर्शन कर रहे हैं l कलाकारों जो गणेश की मूर्तियां और अधिक भव्य 10 मीटर से 30 मीटर की ऊंचाई में कर और सुरुचिपूर्ण मूर्तियों बनाने में, एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं l इन मूर्तियों को फिर से सजाया तथा एक, तीन, पांच, सात और दस दिनों के बाद हजारों लोगों के जुलूस द्वारा नगाड़े की थाप, भक्ति गीत और नृत्य के साथ पवित्र मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित किया जाता है l समुद्र तट पर एकाग्र करने के लिए समुद्र में विसर्जित कर देते हैं l समारोह, गणेश महाराज की जय! " (गणेश भगवान की जय). "गणपति बप्पा मोर्य, पुडचा वर्षी लॉकर फिर" (भगवान की जय हो गणेश, जल्द ही फिर से, अगले साल वापसी के मंत्र के साथ, अगले साल वापसी की प्रार्थना के साथ, समाप्त होता है l युग दर्पण मिडिया समूह 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक