लाखों वर्ष पूर्व त्रेता युग में जब श्राप जनित रावण कुम्भकरण व् पुत्र मेघनाद, अक्षय सहित अपनी असीम अजेय मायावी शक्तियों से मदांध हो चुका था और उसके दुष्ट सिपाहियों से त्रस्त मानवता त्राहि त्राहि कर उठी थी; नगर ही नहीं जंगलों में रहते ऋषि मुनि भी यज्ञ साधना नहीं कर पाते थे !
ऐसे में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन अयोध्या के महाप्रतापी महाराजा दशरथ की महारानी कौशल्या के पुत्र के रूप में भगवन विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम अवतरित हुए ! चैत्र शुक्ल के शक्ति पूजन का नोवां दिन होने तथा श्री राम का जन्म होने से इसे राम नवमी के नाम से जाना जाता है !
उत्तर प्रदेश के अयोध्या, आंध्र प्रदेश के भद्राचलम ,तमिलनाडु के रामेश्वरम में इस अवसर पर विशेष आयोजनों सहित पूरे देश ही नहीं विश्व में जहाँ भी हिन्दू समाज है 9 दिन के व्रत उपवास पूजा पाठ के बाद इस दिन श्री राम लक्ष्मण माता सीता व् हनुमानजी की रथ यात्रा धूम धाम से निकाली जाती है तथा प्रसाद लंगर की व्यवस्था भी होती है !
तिलक राज रेलन, संपादक युग दर्पण , 09911111611, 9654675533.
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक